कोरबा, छत्तीसगढ़ – मानवता और समाज सेवा की मिसाल पेश करते हुए कोरबा जिले के एक परिवार ने अपने पति के निधन के बाद उनके शव का देहदान कर मेडिकल शिक्षा में योगदान दिया है। पत्नी ने बताया कि यह उनके पति की आखिरी इच्छा थी, जिसे पूरा करने के लिए उन्होंने शव को गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज को सौंप दिया। इस नेक कदम से मेडिकल के छात्रों को अध्ययन में मदद मिलेगी।
पति की आखिरी इच्छा पूरी करने का संकल्प
परिवार के अनुसार, स्वर्गीय श्री रामकुमार साहू (55 वर्ष) लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में ही तय कर लिया था कि मृत्यु के बाद उनका शव मेडिकल शिक्षा और शोध के लिए दान किया जाएगा। उनकी पत्नी श्रीमती सरोज साहू ने अपने पति की इस इच्छा को पूरा करने का फैसला किया।
श्रीमती सरोज साहू ने बताया, "मेरे पति हमेशा से समाज सेवा में विश्वास रखते थे। उनका कहना था कि मरने के बाद भी अगर हमारा शव किसी के काम आ सके, तो यह हमारे जीवन का सबसे बड़ा योगदान होगा। उनकी यह इच्छा जानकर हमने भी इसका सम्मान करने का निर्णय लिया।"
मेडिकल कॉलेज को सौंपा गया शव
परिवार ने रामकुमार साहू के निधन के बाद स्थानीय प्रशासन और मेडिकल कॉलेज प्रशासन से संपर्क किया। इसके बाद शव को कोरबा स्थित गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में देहदान के लिए भेजा गया। मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों ने परिवार के इस निर्णय की सराहना करते हुए उन्हें प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।
मेडिकल कॉलेज के एक अधिकारी ने बताया, "देहदान एक महान कार्य है, जिससे मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों को प्रैक्टिकल ज्ञान मिलता है। इससे न केवल शिक्षा को बढ़ावा मिलता है, बल्कि भविष्य के डॉक्टर्स बेहतर तरीके से प्रशिक्षित होते हैं। श्री साहू के परिवार का यह कदम प्रशंसनीय है।"
समाज के लिए प्रेरणादायक कदम
भारत में अभी भी देहदान को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी है। ऐसे में श्री साहू के परिवार का यह फैसला समाज के लिए एक मिसाल बन गया है। स्थानीय लोगों ने भी इस नेक काम की सराहना की है और इसे एक सराहनीय पहल बताया है।
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, "आज भी बहुत से लोग शवदाह या दफनाने को ही अंतिम संस्कार का एकमात्र तरीका मानते हैं, लेकिन देहदान जैसे कार्यों से न केवल मेडिकल साइंस को मदद मिलती है, बल्कि यह मानवता की सेवा का भी एक बड़ा उदाहरण है।"
देहदान के लिए कैसे करें रजिस्ट्रेशन?
देहदान करने के इच्छुक लोगों को अपने जीवनकाल में ही इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इसके लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जा सकती है:
आवेदन पत्र भरें: नजदीकी मेडिकल कॉलेज या एनजीओ से देहदान फॉर्म लें।
परिवार की सहमति: परिवार के सदस्यों को भी इसकी जानकारी देनी चाहिए।
रजिस्ट्रेशन कार्ड: मेडिकल संस्थान द्वारा एक डोनर कार्ड जारी किया जाता है।
मृत्यु के बाद प्रक्रिया: परिजनों को तुरंत संबंधित मेडिकल कॉलेज को सूचित करना होता है।