रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मलेरिया उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे अभियान ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। हाल ही में जारी किए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बस्तर संभाग में मलेरिया धनात्मक दर में भारी गिरावट दर्ज की गई है। वर्ष 2015 में यह दर जहां 4.60% थी, वहीं 2024 में यह घटकर मात्र 0.46% रह गई है।
राज्यभर में भी मलेरिया के मामलों में उल्लेखनीय कमी देखी गई है। सरकार के अनुसार, 2015 की तुलना में 2024 में मलेरिया केसों में 72% की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं वार्षिक परजीवी सूचकांक (API) भी इसी अवधि में 5.21 से घटकर 0.98 हो गया है। बस्तर जैसे आदिवासी बहुल और कठिन भौगोलिक क्षेत्र में API 27.4 से गिरकर 7.11 तक पहुंचना स्वास्थ्य सेवाओं की बड़ी सफलता मानी जा रही है।
सीएम साय ने जताई प्रसन्नता
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इन आंकड़ों को "जन-केंद्रित सोच और समर्पित स्वास्थ्य प्रयासों का परिणाम" बताया है। उन्होंने कहा कि बस्तर जैसे संवेदनशील इलाके में मलेरिया नियंत्रण की यह उपलब्धि स्वास्थ्य विभाग, मितानिनों और स्थानीय प्रशासन की साझा मेहनत का फल है।
स्वास्थ्य मंत्री बोले- मच्छरदानी से लेकर जागरूकता तक चला अभियान
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि पूरे छत्तीसगढ़ को मलेरिया मुक्त घोषित किया जाए। उन्होंने बताया कि अभियान के तहत मच्छरदानी वितरण, घर-घर सर्वेक्षण, फौरन उपचार और जनजागरूकता जैसे उपायों को प्राथमिकता दी गई। वर्ष 2024 में अभियान के 10वें और 11वें चरण में विशेष निगरानी और उपचार कार्यक्रमों से मलेरिया नियंत्रण को और भी मजबूती मिली है।
WHO और NVBDCP के दिशा-निर्देशों पर आधारित है रणनीति
राज्य सरकार का मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NVBDCP) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की गाइडलाइनों के अनुसार संचालित हो रहा है। सीएम साय ने इस सफलता में योगदान देने वाले सभी कर्मचारियों, मितानिनों, डॉक्टरों और आम नागरिकों का आभार व्यक्त किया है।
सामूहिक प्रयासों का नतीजा
राज्य सरकार के मुताबिक, इस सफलता के पीछे वर्षों की योजना, कड़ी मेहनत और सामूहिक भागीदारी रही है। आने वाले समय में छत्तीसगढ़ को पूरी तरह मलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में और तेज गति से कार्य किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ के लिए यह मील का पत्थर है, जो प्रदेश को स्वस्थ और समृद्ध भविष्य की ओर अग्रसर करता है।