छत्तीसगढ़ में खनिज माफियाओं पर सख्ती के बावजूद अवैध उत्खनन थमने का नाम नहीं ले रहा है। बिलासपुर जिले के चिचिरदा गांव में सरकारी जमीन पर बिना अनुमति मिट्टी खनन का मामला उजागर हुआ है, जिसमें गांव के सरपंच प्रमोद सूर्यवंशी का नाम सामने आया है।
सूत्रों के अनुसार, गांव की शासकीय भूमि से बड़ी मात्रा में मिट्टी निकाली गई। भारी वाहनों और मशीनों की मदद से निकाली गई मिट्टी को निजी लाभ के लिए उपयोग में लाए जाने की आशंका जताई जा रही है। बताया गया है कि खनन के लिए किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई थी, न ही पंचायत की बैठक में कोई प्रस्ताव पारित हुआ था।
प्रदेश में 15 जून से रेत, मिट्टी और मुरुम जैसे खनिजों के खनन पर मानसून अवधि के चलते रोक लगा दी गई है, जो आगामी 15 अक्टूबर तक प्रभावी रहेगी। इसके बावजूद चिचिरदा में खुलेआम खनन होना प्रशासन की निगरानी पर सवाल खड़े करता है।
सरपंच ने सफाई देते हुए दावा किया कि गांव के स्कूल परिसर में जलभराव की समस्या को दूर करने के लिए मिट्टी का उपयोग किया जा रहा है। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि इतनी भारी मात्रा में निकाली गई मिट्टी स्कूल में उपयोग के लिए नहीं, बल्कि व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए बेची जा रही है।
इससे पहले इसी सप्ताह, जिला प्रशासन की टास्क फोर्स ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 85 स्थानों पर छापे मारे थे। इसमें विभिन्न इलाकों से 13 स्थानों से हजारों घनमीटर रेत जब्त की गई थी। साथ ही 3 पोकलेन, 2 जेसीबी, 13 हाइवा और 34 ट्रैक्टर सहित कुल 52 वाहन जब्त किए गए थे।
लगभग 40 से अधिक लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई और जुर्माने की कार्रवाई शुरू हुई है। अधिकारियों ने बताया कि अवैध खनन के खिलाफ अभियान लगातार जारी रहेगा।
हालांकि, चिचिरदा के मामले में अब तक किसी भी स्तर पर प्रशासनिक हस्तक्षेप नहीं हुआ है, जिससे स्थानीय लोगों में नाराज़गी है। ग्रामीणों ने मांग की है कि सरपंच के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाए और सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग पर रोक लगे।