शहीद जवान शिवपाल सिंह की शहादत पर पूरे देश को गर्व: मातृभूमि के लिए दी प्राणों की आहुति बिलासपुर के सपूत ने निभाया आखिरी फर्ज, नेपाल सीमा पर तैनाती के दौरान हुआ बलिदान


 

उत्तर प्रदेश के पिथौरागढ़ ज़िले में नेपाल सीमा से सटे जमतड़ी पोस्ट पर तैनात सशस्त्र सीमा बल (SSB) की 55वीं बटालियन के वीर जवान शिवपाल सिंह ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी। बिलासपुर के कोटा क्षेत्र के बिल्लीबन गांव निवासी शिवपाल मात्र 30 वर्ष के थे, लेकिन देश के लिए उनका समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा ने उन्हें अमर बना दिया।

❖ ड्यूटी पर रहते हुए हुआ हादसा

19 जून की रात शिवपाल सिंह मोबाइल नेटवर्क की समस्या के चलते बैरक से बाहर निकले। बताया जा रहा है कि वे सिग्नल ढूंढने के लिए पास की ऊंचाई की ओर बढ़े, जहां संतुलन बिगड़ने के कारण वे करीब 50 मीटर गहरी खाई में गिर गए। जब सुबह की रोल कॉल में उनकी उपस्थिति नहीं हुई, तो साथी जवानों ने खोजबीन शुरू की। दोपहर तक उनका पार्थिव शरीर खाई में बर्फ के नीचे दबा हुआ मिला।

❖ साथियों ने दी श्रद्धांजलि, गांव में पसरा मातम

खबर मिलते ही पूरे कैंप में शोक की लहर दौड़ गई। सैनिक सम्मान के साथ उनके शव को पोस्टमार्टम के बाद कैंप लाया गया, जहां जवानों ने उन्हें अंतिम सलामी दी। इसके बाद 20 जून को उनका पार्थिव शरीर गृह ग्राम बिल्लीबन लाया गया। गांव पहुंचते ही लोगों की आंखें नम हो गईं, लेकिन साथ ही हर चेहरा गर्व से ऊंचा था कि इस धरती ने ऐसा वीर सपूत जन्मा है।

❖ शादी की थी तैयारी, लेकिन पहले आ गया तिरंगे में लिपटा शव

शिवपाल सिंह की शादी इसी साल प्रस्तावित थी। परिजन लड़की की तलाश कर चुके थे और वह खुद भी एक महीने की छुट्टी लेकर घर आने वाला था। लेकिन भाग्य ने कुछ और ही लिखा था। जिस घर में शहनाई बजने वाली थी, वहां अब शोक गीत गूंज रहे हैं। पूरे परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। मां-बाप, भाई-बहन और रिश्तेदार रो-रो कर बेहाल हैं।

❖ देशभक्ति की मिसाल, गांव के लोग बोले – “शिवपाल अमर रहें”

उनके अंतिम दर्शन के लिए गांव से लेकर आस-पास के गांवों से भी लोग उमड़ पड़े। लोगों ने “शिवपाल अमर रहें”, “भारत माता की जय” और “वीर जवान को सलाम” जैसे नारों के साथ उनके पार्थिव शरीर को सम्मानपूर्वक घर तक पहुंचाया। 21 जून की सुबह पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

❖ कम्युनिकेशन की कमी बनी कारण, फिर भी नहीं छोड़ा फर्ज

गौरतलब है कि जिस क्षेत्र में शिवपाल सिंह तैनात थे, वहां दूरसंचार सुविधा बेहद कमजोर है। जीओ का एकमात्र टॉवर होने के बावजूद नेटवर्क की समस्या आम है। लेकिन ऐसी कठिन परिस्थितियों में भी जवान अपनी ड्यूटी निभाते हैं, निडरता से। शिवपाल भी उसी जज्बे का प्रतीक बने।


शिवपाल सिंह: सिर्फ नाम नहीं, एक प्रेरणा हैं

उनकी शहादत एक बार फिर यह याद दिलाती है कि हमारे सैनिक हर क्षण देश के लिए तैयार रहते हैं – चाहे पर्वत हो, बर्फ हो या अंधेरी खाइयां। वे अपने निजी जीवन की खुशियों को पीछे छोड़, देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं। शिवपाल सिंह का बलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा है कि देशसेवा सर्वोच्च धर्म है।

देश हमेशा उनके इस बलिदान को याद रखेगा।

जय हिंद। वंदे मातरम्।

Post a Comment

Previous Post Next Post