बिलासपुर, 27 जून — छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में बहुचर्चित भारतमाला परियोजना भूमि अधिग्रहण घोटाले से जुड़े एक निलंबित पटवारी सुरेश मिश्रा ने आत्महत्या कर ली है। शुक्रवार को उनकी लाश सकरी थाना क्षेत्र के जोकी गांव स्थित अपनी बहन के फार्महाउस में फंदे से लटकी हुई पाई गई। वे 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले थे।
जानकारी के अनुसार, सुरेश मिश्रा कुछ समय से मानसिक तनाव में थे। मामले की सूचना मिलते ही सकरी पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। पुलिस को घटनास्थल से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिसमें उन्होंने खुद को निर्दोष बताते हुए फंसाए जाने का आरोप लगाया है।
घोटाले से जुड़ी पृष्ठभूमि:
भारतमाला परियोजना के अंतर्गत बिलासपुर-उरगा राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में दस्तावेजी गड़बड़ियों की जांच की जा रही थी। इसी जांच के आधार पर सुरेश मिश्रा और पूर्व तहसीलदार डीके उइके के खिलाफ 25 जून को तोरवा थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी।
माना जा रहा है कि एफआईआर के बाद से ही सुरेश मिश्रा तनाव में थे और इसी के चलते उन्होंने यह कठोर कदम उठाया। परिजनों ने बताया कि वह जोकी गांव स्थित फार्महाउस पर अक्सर जाया करते थे और वही उन्होंने आत्मघाती कदम उठाया।
पुलिस की कार्रवाई और जांच:
सकरी थाना प्रभारी प्रदीप आर्य ने जानकारी दी कि शव एक बंद कमरे में पंखे से लटकता मिला। प्रारंभिक जांच में आत्महत्या की पुष्टि हुई है। पुलिस ने सुसाइड नोट जब्त कर लिया है और उसकी हैंडराइटिंग जांच भी करवाई जाएगी।
सुसाइड नोट में लिखी बातें:
सुसाइड नोट में सुरेश मिश्रा ने स्पष्ट तौर पर लिखा है कि वे दोषी नहीं हैं और उन्हें एक साजिश के तहत फंसाया गया है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें जानबूझकर झूठे केस में लपेटा है, जबकि उनका इस घोटाले से कोई सीधा संबंध नहीं है।
SP का बयान:
बिलासपुर एसपी रजनेश सिंह ने कहा, "हमें पटवारी की आत्महत्या की सूचना मिली है। घटनास्थल से सुसाइड नोट बरामद किया गया है। फिलहाल, उसमें लिखी बातों की जांच की जा रही है। सच्चाई सामने आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।"
क्या है अगला कदम?
पुलिस पूरे मामले की जांच सुसाइड नोट और एफआईआर के आधार पर आगे बढ़ा रही है। वहीं, परिजनों की ओर से भी न्यायिक जांच की मांग की जा रही है। मामला प्रशासनिक तंत्र और जांच की निष्पक्षता पर कई सवाल खड़े कर रहा है।
यह घटना भारतमाला परियोजना में सामने आए घोटाले की गंभीरता को उजागर करती है और प्रशासनिक दबाव में आए सरकारी कर्मियों की स्थिति को भी सामने लाती है।