दुर्ग जिला अस्पताल में इलाज के दौरान युवक की मौत, परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का लगाया आरोप


 

दुर्ग, 27 जून।
दुर्ग जिला अस्पताल में भर्ती एक 35 वर्षीय युवक मेघनाथ बाघ की शुक्रवार सुबह संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मृतक के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन और मेडिकल स्टाफ पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। परिजनों का कहना है कि युवक की हालत बिगड़ने के बावजूद डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने समय पर उपचार नहीं किया, जिससे उसकी जान चली गई।

मेघनाथ बाघ, जो कि भिलाई पावर हाउस के कैंप वन, शारदा पारा का निवासी था, पिछले पांच दिनों से जिला अस्पताल में भर्ती था। उसे सांस लेने में तकलीफ और कमजोरी की शिकायत पर उपचार के लिए लाया गया था। परिजनों के अनुसार, शुरू में उसकी हालत स्थिर थी और उसे इमरजेंसी वार्ड में रखा गया था।

मृतक की बहन पुष्पलता ने बताया कि बीते दो दिनों से मेघनाथ को इमरजेंसी वार्ड में रखा गया था, जहां उसकी स्थिति ठीक बनी हुई थी। लेकिन जैसे ही उसे जनरल वार्ड में शिफ्ट किया गया, उसकी तबीयत अचानक बिगड़ने लगी। उन्होंने कहा, “भाई को रातभर दस्त होते रहे, हमने कई बार मेडिकल स्टाफ को बुलाया, लेकिन कोई भी मदद के लिए नहीं आया। डॉक्टरों को भी सूचना दी गई, फिर भी उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की।"

मृतक की मां ने भी अस्पताल प्रशासन पर नाराजगी जताते हुए कहा कि उन्होंने खुद रात में डॉक्टरों को बेटे की बिगड़ती हालत की जानकारी दी थी, मगर किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। शुक्रवार सुबह मेघनाथ मृत पाया गया।

परिवार का कहना है कि मेघनाथ की मौत लापरवाही का नतीजा है। उसकी दो संतानें हैं, जो अब अनाथ हो गई हैं। बहन पुष्पलता का कहना है, “मेरे भाई को समय पर सही इलाज मिल जाता, तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। अब उसके बच्चों की जिम्मेदारी कौन लेगा?”

इस पूरे मामले में जब जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. हेमंत कुमार साहू से पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “हमें अब तक परिजनों की ओर से कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है। यदि शिकायत मिलती है, तो जांच कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।”

घटना के बाद से परिजनों में रोष है और उन्होंने मृतक के लिए न्याय की मांग की है। फिलहाल, अस्पताल प्रशासन पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं और यह मामला जांच के दायरे में आ सकता है।

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