130 KM का सफर और घंटों इंतजार: प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों को किताबों के लिए करना पड़ा संघर्ष, डिपो में हंगामा


 

बिलासपुर | 2 जुलाई 2025
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले से आए प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों को सरकारी पाठ्यपुस्तकें लेने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी। करीब 130 किलोमीटर का सफर तय कर बिलासपुर पहुंचे ये शिक्षक सुबह से लेकर शाम तक किताबों के लिए डिपो में लाइन में खड़े रहे। प्रक्रिया में देरी, तकनीकी समस्याएं और अव्यवस्था के कारण शिक्षकों का धैर्य जवाब दे गया और अंततः डिपो परिसर में हंगामा खड़ा हो गया।

जानकारी के अनुसार, 1 जुलाई की सुबह गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के विभिन्न निजी स्कूलों के शिक्षक बिलासपुर के पाठ्यपुस्तक निगम डिपो पहुंचे थे। यहां उन्हें बताया गया कि किताबें स्कैनिंग के बाद ही दी जाएंगी। इस प्रक्रिया में अत्यधिक समय लग रहा था। कई शिक्षक सुबह 8 बजे से ही लाइन में लगे थे, लेकिन दोपहर तक भी उनकी बारी नहीं आई थी।

सर्वर डाउन, स्कैनिंग धीमी, बढ़ती परेशानी
शिक्षकों ने बताया कि किताबों के वितरण से पहले हर एक पुस्तक को स्कैन किया जा रहा था, लेकिन डिपो में सर्वर की समस्या लगातार बनी रही। इससे स्कैनिंग की गति धीमी रही और कामकाज बाधित होता गया। एक शिक्षक ने कहा, "हम 130 किलोमीटर दूर से आए हैं और यहां घंटों खड़े हैं। दो लोगों के बल पर 2 हजार किताबों की स्कैनिंग कर पाना असंभव है।"

हंगामा, नाराजगी और लापरवाही के आरोप
लगातार इंतजार और अव्यवस्था से परेशान शिक्षकों ने डिपो प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया। शिक्षकों का कहना था कि डिपो में पर्याप्त किताबें मौजूद हैं, लेकिन व्यवस्था इतनी सुस्त है कि समय पर वितरण नहीं हो पा रहा है। कई शिक्षक नाराज होकर डिपो परिसर में विरोध जताने लगे। हालांकि, अधिकारियों के समझाने-बुझाने के बाद स्थिति शांत हुई और रात तक किताबों के वितरण का काम जारी रहा।

सरकारी और निजी स्कूलों में भेदभाव का आरोप
शिक्षकों ने यह भी आरोप लगाया कि सरकारी स्कूलों के लिए किताबें सीधे संकुल केंद्र भेजी जा रही हैं, जबकि निजी स्कूलों को खुद डिपो आकर किताबें लेनी पड़ रही हैं। इतना ही नहीं, वहां भी उन्हें घंटों इंतजार और तकनीकी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट जवाब नहीं
इस पूरे मामले को लेकर डिपो प्रबंधन की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। वहीं, शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्कैनिंग की प्रक्रिया आवश्यक है ताकि वितरण का रिकॉर्ड डिजिटल रूप से दर्ज हो सके। लेकिन तकनीकी खामियों को दूर करने के लिए जल्द कदम उठाए जाएंगे।

Post a Comment

Previous Post Next Post