बिलासपुर में सड़क हादसे में 17 मवेशियों की मौत: तेज रफ्तार वाहन ने कुचला, गौ सेवकों का विरोध, हाईकोर्ट के आदेशों की फिर अनदेखी


 

बिलासपुर, छत्तीसगढ़ | 15 जुलाई 2025
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में रतनपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक दर्दनाक सड़क हादसे में 17 मवेशियों की मौत हो गई, जबकि 5 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह हादसा सोमवार देर रात रतनपुर-पेंड्रा मार्ग पर बारीडीह के पास हुआ, जब सड़क पर बैठे मवेशियों के झुंड को एक अज्ञात तेज रफ्तार वाहन ने कुचल दिया। वाहन चालक हादसे के बाद मौके से फरार हो गया।

घटना की जानकारी मंगलवार सुबह गौ सेवकों को लगी, जिसके बाद वे भारी संख्या में मौके पर पहुंचे और घायल मवेशियों का इलाज कराने की व्यवस्था की। साथ ही आक्रोशित होकर उन्होंने थाने में शिकायत दर्ज कर आरोपी वाहन चालक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।

पुलिस करेगी ड्राइवर और मवेशी मालिकों पर कार्रवाई

बिलासपुर एसएसपी रजनेश सिंह ने हादसे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस दुर्घटना के लिए केवल वाहन चालक ही नहीं, बल्कि मवेशी मालिक भी जिम्मेदार हैं, जो मवेशियों को सड़कों पर खुला छोड़ देते हैं। उन्होंने बताया कि हादसे के स्थान पर नियमित पुलिस पेट्रोलिंग होती है, और फिलहाल पुलिस वाहन चालक की पहचान के प्रयास में लगी है। मवेशी मालिकों के खिलाफ भी लापरवाही का मामला दर्ज करने की तैयारी की जा रही है।

पहले भी हो चुके हैं ऐसे हादसे

यह कोई पहली घटना नहीं है जब बिलासपुर और आसपास के क्षेत्रों में मवेशियों की मौत सड़क हादसे में हुई हो। सिरगिट्टी थाना क्षेत्र के सिलपहरी हाईवे पर पहले भी ट्रक से कुचलकर 16 मवेशियों की मौत हो चुकी है। इसी तरह मस्तूरी-सीपत मार्ग और तखतपुर-मुंगेली रोड पर भी हादसों में कई मवेशियों की जान जा चुकी है। हाल ही में रतनपुर हाइवे पर भैंस से टकराकर बाइक सवार युवक की मौत भी हो चुकी है।

हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना जारी

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने वर्ष 2019 से अब तक कई बार राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन को सड़कों पर मवेशियों की उपस्थिति रोकने के निर्देश दिए हैं। मार्च 2024 में हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने फिर से राज्य शासन और एनएचएआई से जवाब मांगा था।

कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि यह केवल शहरों की नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की गंभीर समस्या बन चुकी है, और इसे संयुक्त प्रयासों से ही सुलझाया जा सकता है। बावजूद इसके जिला प्रशासन और नगर निकायों द्वारा इस दिशा में कोई ठोस कार्य नहीं किया गया है।

जनहित याचिका के बावजूद हालात जस के तस

सड़कों पर मवेशियों की मौजूदगी को लेकर दर्ज जनहित याचिकाओं पर बार-बार सुनवाई हो चुकी है, लेकिन ठोस परिणाम नहीं निकल पाया। शाम ढलते ही तखतपुर, मस्तूरी, सीपत, कोटा रोड, और चकरभाठा जैसे इलाकों में मवेशियों का जमावड़ा आम हो गया है। इसकी वजह से न केवल वाहन चालकों की जान जोखिम में पड़ रही है, बल्कि आए दिन मवेशियों की भी मौत हो रही है।

जन जागरूकता और प्रशासनिक एक्शन की ज़रूरत

यह हादसा न केवल प्रशासन की निष्क्रियता को उजागर करता है, बल्कि पशु मालिकों की लापरवाही और आम जनता की उदासीनता की ओर भी संकेत करता है। यदि समय रहते जिम्मेदार एजेंसियों ने हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन किया होता, तो शायद इस तरह की दुखद घटनाएं रोकी जा सकती थीं।

अब ज़रूरत है कि न केवल कानून का कड़ाई से पालन हो, बल्कि आमजन को भी जागरूक किया जाए कि मवेशियों की देखरेख उनकी ज़िम्मेदारी है। साथ ही, प्रशासन को चाहिए कि वो सुरक्षित गौशालाओं और पशु आश्रय स्थलों की संख्या बढ़ाए, और नेशनल हाईवे जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सख्त निगरानी रखे।


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