रायपुर। राजधानी रायपुर के विधानसभा थाना क्षेत्र से एक चौंकाने वाला साइबर फ्रॉड का मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला से दो महीने की अवधि में 2.83 करोड़ रुपए की ठगी की गई। ठगों ने खुद को दिल्ली पुलिस का अफसर बताकर पहले महिला को डराया, फिर डिजिटल अरेस्ट का बहाना बनाकर उससे किस्तों में बड़ी रकम ट्रांसफर करवा ली।
शिकायत के अनुसार, पीड़िता नीलम (बदला हुआ नाम) आमासिवनी क्षेत्र की निवासी हैं और एक प्राइवेट कंपनी में जनरल मैनेजर के पद से सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। 21 मई को उन्हें एक फोन कॉल आया, जिसमें सामने वाले ने खुद को एसबीआई कस्टमर केयर से बताया और क्रेडिट कार्ड भुगतान के नाम पर बात शुरू की। कुछ ही देर में कॉल दिल्ली पुलिस को ट्रांसफर कर देने की बात कहकर महिला को व्हाट्सऐप वीडियो कॉल पर जोड़ा गया।
वीडियो कॉल में वर्दी पहने युवक ने खुद को दिल्ली साइबर विंग का अधिकारी बताया। थोड़ी देर में कैमरा ऑफ हो गया, लेकिन दूसरी तरफ से वॉइस कॉल जारी रही। इसके बाद महिला से आधार कार्ड से जुड़े फर्जी बैंक खातों और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप की बात कहकर डराया गया।
ठगों ने महिला को कहा कि वह अगर निर्दोष हैं तो आरटीजीएस के जरिए कुछ रकम ट्रांसफर करें, जिसे आरबीआई से वेरिफिकेशन के बाद लौटा दिया जाएगा। ठगी के इस जाल में फंस चुकी महिला ने 23 मई से लेकर 10 जुलाई तक कई किस्तों में बड़ी रकम ट्रांसफर कर दी।
सबसे बड़ा ट्रांजेक्शन 18 जून को हुआ जब महिला ने 90 लाख रुपए भेजे। अन्य ट्रांजेक्शन में 25 लाख, 21 लाख, 40 लाख, 35 लाख, 22 लाख, 3 लाख आदि की रकम भेजी गई। कुल मिलाकर महिला ने 2 करोड़ 83 लाख 65 हजार रुपए की राशि ठगों के बताए खातों में जमा कर दी।
जब महिला ने पैसे वापस मांगे, तो ठगों ने अचानक संवाद बंद कर दिया। बाद में व्हाट्सऐप पर एक मैसेज आया, जिसमें लिखा था – “आपके साथ फ्रॉड हो गया है।” इसके बाद पीड़िता को असलियत का एहसास हुआ और उन्होंने विधानसभा थाना में एफआईआर दर्ज करवाई।
पुलिस की शुरुआती जांच में कुछ खातों से जुड़े 38 लाख रुपए होल्ड करवाने में सफलता मिली है। फिलहाल साइबर सेल और स्थानीय पुलिस टीम खातों की जांच और पैसे की रिकवरी में जुटी है। बताया गया कि पीड़िता अपने पति की मृत्यु के बाद अपनी मौसी के साथ रहती हैं और जीवन भर की पूंजी ठगों के हाथों गंवा चुकी हैं।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह मामला डिजिटल अरेस्ट के नाम पर की जा रही हाई-प्रोफाइल साइबर ठगी का उदाहरण है और आमजन को सतर्क रहने की आवश्यकता है। अधिकारियों ने अपील की है कि कोई भी सरकारी अधिकारी या पुलिस सीधे इस तरह की धमकी नहीं देता, और किसी भी संदिग्ध कॉल की जानकारी तुरंत पुलिस को दी जानी चाहिए।