8 साल की मेहनत पर पानी फिरा: 12 करोड़ खर्च, सफेद भालू के बदले लाए जेब्रा में से नर की मौत, मादा को लौटाने की नौबत


 

नवा रायपुर स्थित जंगल सफारी में विदेशी वन्य प्राणी जेब्रा को बसाने की बहुप्रतीक्षित योजना एक बार फिर विफल हो गई है। गुजरात की वनतारा जंगल सफारी से लाए गए नर-मादा जेब्रा के जोड़े में से नर की 15 दिन के भीतर ही सांप के काटने से मौत हो गई। यह घटना 16 मई को हुई, जबकि यह जोड़ा 30 अप्रैल को लाया गया था।

वन विभाग ने आनन-फानन में मादा जेब्रा को रेस्क्यू सेंटर में बंद कर दिया है और उसे अब तक पर्यटकों को नहीं दिखाया गया है। जानकारों का कहना है कि विदेशी प्राणी की सुरक्षा में हुई यह गंभीर चूक भविष्य में ऐसे प्राणियों को लाने की प्रक्रिया को और जटिल बना सकती है।

यह जोड़ा करीब आठ साल की कोशिशों के बाद लाया गया था। पहले दक्षिण अफ्रीका से जेब्रा लाने की योजना बनी थी, फिर उद्योगपति अनंत अंबानी की वनतारा जंगल सफारी से एक्सचेंज के तहत जेब्रा मिला। इसके लिए छत्तीसगढ़ वन विभाग को अपना एक सफेद भालू भी सौंपना पड़ा, जिसे लेकर विभागीय स्तर पर भी असहमति रही।

अब दोबारा यह करना होगा:
मादा जेब्रा के साथ क्या किया जाए, इस पर वन विभाग अभी निर्णय नहीं ले पाया है। सेंट्रल जू अथॉरिटी से दोबारा अनुमति मांगी जा रही है, जिससे एक और नर जेब्रा लाकर जोड़ी बनाई जा सके। यदि मंजूरी नहीं मिलती है, तो मादा जेब्रा को वापस भेजा जा सकता है।

इसके लिए विभाग को अथॉरिटी को यह स्पष्ट करना होगा कि नर जेब्रा की मौत कैसे हुई। इसके बाद फिर से संबंधित राज्य के जू से नर जेब्रा की मांग करनी होगी और नई अनुमति प्रक्रिया शुरू होगी।

जू में 8 बाड़े अब भी खाली:
जंगल सफारी में 32 बाड़े बनाए गए हैं, जिनमें से 8 अभी भी खाली पड़े हैं। इन बाड़ों को विदेशी प्राणियों के अनुरूप तैयार किया गया था, लेकिन अब तक कई बाड़े उपयोग में नहीं आ सके हैं। यह भी खुलासा हुआ है कि जेब्रा के अलावा मीरकैट जैसे अन्य अफ्रीकी प्राणी भी लाए गए हैं, पर उन्हें भी पर्यटकों के सामने नहीं लाया जा सका है।

अधिकारियों की दुविधा:
जेब्रा की अप्रत्याशित मौत के बाद अधिकारी डरे हुए हैं और किसी भी नए निर्णय को लेकर असमंजस में हैं। मीरकैट को पर्यटकों के सामने कब लाया जाएगा, यह तय नहीं किया गया है।

Post a Comment

Previous Post Next Post