"भटगांव बना जल संरक्षण की मिसाल: हर घर में कुआं, गर्मियों में भी नहीं सूखते जलस्रोत"


 

छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले का एक छोटा-सा गांव भटगांव, आज जल संरक्षण और आत्मनिर्भरता की मिसाल बन गया है। जिला मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव में आज हर घर में कुआं है। करीब 5000 की आबादी और 450 घरों वाले इस गांव में 1100 से अधिक कुएं हैं। यही वजह है कि यहां का भूजल स्तर गर्मियों में भी 8 से 10 फीट से नीचे नहीं जाता।

50 साल पुरानी सूझबूझ बनी जल संकट का हल
गांव के सरपंच फागूराम बताते हैं कि आज से लगभग 50 साल पहले, 1964 में गांव में भयंकर जल संकट उत्पन्न हुआ था। तब बुजुर्गों ने मिलकर हर घर में कुआं खोदने का निर्णय लिया। धीरे-धीरे यह परंपरा बन गई और अब लगभग हर घर में एक से दो कुएं मिलते हैं। इससे न केवल पीने का पानी उपलब्ध हुआ, बल्कि भूजल स्तर भी स्थिर और मजबूत बना रहा।

भूजल स्तर इतना ऊंचा कि बरसात में उफान मारते हैं कुएं
बारिश के दिनों में यहां के कुओं का पानी महज 3-4 फीट पर आ जाता है। सिंचाई विभाग की नहर 'तनहर नाली' गांव से होकर गुजरती है, जिससे क्षेत्र का जलस्तर और भी बढ़ जाता है। कभी-कभी तो कुओं से पानी छलकने लगता है।

नल जल योजना आई, फिर भी लोग भरोसा करते हैं कुओं पर
सरकार की ‘हर घर नल जल योजना’ के तहत गांव में पाइप लाइन बिछा दी गई है, लेकिन गांव की पूर्णिमा साहू जैसी अधिकांश महिलाएं अब भी कुएं के पानी से ही सारे घरेलू काम करती हैं। उनका कहना है कि "कुएं का पानी शुद्ध और ठंडा रहता है, इसलिए हम उसी का इस्तेमाल करते हैं।"

भटगांव के पड़ोसी गांवों में जल संकट बरकरार
जहां भटगांव आत्मनिर्भरता की मिसाल बना है, वहीं पास के गांव – सोरम, रुद्री, बेलतरा, बोरिदखुर्द, बेंद्रानवागांव – आज भी जल संकट से जूझ रहे हैं। पथरीली ज़मीन होने की वजह से इन गांवों में बोरिंग और ट्यूबवेल फेल हो जाते हैं। गर्मियों में स्थिति और भी विकट हो जाती है।

'कुआं गांव' के नाम से प्रसिद्ध हुआ भटगांव
आज भटगांव को 'कुआं गांव' के नाम से भी जाना जाता है। जल संकट के स्थायी समाधान के रूप में इस गांव ने जो रास्ता अपनाया, वह न केवल अनुकरणीय है, बल्कि अन्य गांवों के लिए प्रेरणास्रोत भी है।

संक्षेप में:
भटगांव ने दिखा दिया है कि पारंपरिक जल स्रोतों का संरक्षण और सामूहिक प्रयास किस तरह किसी भी गांव को जल संकट से उबार सकता है। यह मॉडल न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश के लिए सीख है – कि समाधान हमारे अपने हाथों में है, बस एकजुट होकर काम करने की जरूरत है।

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