छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में रविवार को आयोजित PWD की सब-इंजीनियर भर्ती परीक्षा में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल कर नकल की जा रही थी। परीक्षा केंद्र के बाहर से एक युवती अपनी बहन को वायरलेस डिवाइस के जरिए प्रश्नों के उत्तर बता रही थी। यह पूरा मामला सरकंडा थाना क्षेत्र स्थित रामदुलारे शासकीय स्वामी आत्मानंद स्कूल परीक्षा केंद्र का है।
जानकारी के मुताबिक, परीक्षा में शामिल एक अभ्यर्थी अनुसूर्या ने अपने कपड़ों में स्पाई कैमरा छिपाकर केंद्र के अंदर ले गई। परीक्षा शुरू होते ही उसने प्रश्न पत्र को कैमरे से स्कैन कर बाहर अपनी बहन अनुराधा को भेजा, जो स्कूल के बाहर ऑटो में बैठकर लैपटॉप और वॉकी-टॉकी के माध्यम से उत्तर बता रही थी। बताया गया कि अनुराधा इंटरनेट पर उत्तर खोजकर ईयरफोन के जरिये बहन तक पहुंचा रही थी।
इस सुनियोजित नकल का खुलासा तब हुआ जब युवतियों ने परीक्षा केंद्र तक पहुंचने के लिए एक टैक्सी बुक की थी। ड्राइवर को युवतियों की हरकतें संदिग्ध लगीं और उसने इसकी सूचना NSUI नेता विकास ठाकुर को दी। इसके बाद ठाकुर अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और पूरी घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया।
घटना की सूचना मिलते ही NSUI प्रदेश अध्यक्ष नीरज पांडेय समेत अन्य कांग्रेस नेता भी केंद्र पहुंचे और जमकर विरोध किया। उनका आरोप है कि यह नकल किसी व्यक्तिगत प्रयास का हिस्सा नहीं, बल्कि एक संगठित प्रयास है और इसमें सरकारी तंत्र की लापरवाही भी शामिल है। उन्होंने परीक्षा केंद्राध्यक्ष और अन्य जिम्मेदारों पर भी कार्रवाई की मांग की।
पुलिस ने दोनों बहनों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है। सरकंडा थाना प्रभारी निलेश पांडेय ने बताया कि युवतियों से जब्त उपकरणों में वॉकी-टॉकी, टैब, माइक्रो ईयर डिवाइस, वायरलेस ट्रांसमीटर और अन्य हाईटेक गैजेट शामिल हैं। शुरुआती पूछताछ में छात्राओं ने बताया कि उन्होंने यह डिवाइस ऑनलाइन खरीदे थे। फिलहाल, पूरे मामले की जांच चल रही है और पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या इसमें किसी गैंग का हाथ है।
प्रदेश में परीक्षा पारदर्शिता पर सवाल
इस घटना ने छत्तीसगढ़ में प्रतियोगी परीक्षाओं की पारदर्शिता और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। NSUI का आरोप है कि यदि एक परीक्षा केंद्र में इस तरह की नकल हो सकती है, तो अन्य केंद्रों की भी जांच जरूरी है।
सरकार और प्रशासन की ओर से अब तक कोई विस्तृत बयान सामने नहीं आया है, लेकिन युवतियों के खिलाफ संगठित अपराध के तहत भी प्रकरण दर्ज किया गया है। इस घटना ने परीक्षा प्रणाली को लेकर नई बहस छेड़ दी है कि क्या सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जांच से नकल पर लगाम लगाई जा सकती है या अब निगरानी के तरीके भी अपडेट करने होंगे।