भारत माला प्रोजेक्ट में 43 करोड़ के मुआवजा घोटाले का खुलासा: जल संसाधन विभाग के 2 अधिकारी समेत 6 गिरफ्तार, अब तक 10 लोग सलाखों के पीछे


रायपुर, 16 जुलाई 2025:
छत्तीसगढ़ में भारत माला प्रोजेक्ट के तहत भूमि अधिग्रहण में हुए 43 करोड़ रुपये के मुआवजा घोटाले की जांच कर रही आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने बुधवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए जल संसाधन विभाग के दो अधिकारियों समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें रिटायर्ड अमीन गोपाल राम वर्मा, नरेन्द्र कुमार नायक, खेमराज कोसले, पुनुराम देशलहरे, भोजराम साहू और कुंदन बघेल शामिल हैं।

इनमें से गोपाल राम वर्मा और नरेन्द्र नायक को 23 जुलाई तक रिमांड पर भेजा गया है, जबकि अन्य चार आरोपियों को 18 जुलाई तक हिरासत में रखकर पूछताछ की जाएगी। इससे पहले इस मामले में 4 अन्य आरोपियों – उमा तिवारी, केदार तिवारी, विजय जैन और हरमीत खनूजा को भी गिरफ्तार किया जा चुका है। अब तक इस केस में कुल 10 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

कैसे हुआ घोटाला?

EOW की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि रायपुर से विशाखापट्टनम तक बन रही 463 किलोमीटर लंबी फोरलेन सड़क परियोजना के लिए अभनपुर बेल्ट में भूमि अधिग्रहण के दौरान भारी धांधली की गई। घोटालेबाजों ने किसानों को मिलने वाले मुआवजे को हड़पने के लिए राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर किया।

  • अभनपुर के ग्राम नायकबांधा और उरला में 4 एकड़ जमीन को एक ही परिवार के 14 नामों में फर्जी तरीके से बांटा गया।

  • बैक डेट में दस्तावेज तैयार कर 159 खसरों में भूमि का विभाजन किया गया और 80 नए नाम चढ़ाए गए।

  • मूल रूप से 29.5 करोड़ रुपये के मुआवजे को बढ़ाकर 78 करोड़ रुपये तक दिखाया गया।

जांच रिपोर्ट के मुताबिक, इस पूरे फर्जीवाड़े में भू-माफिया और कुछ राजस्व अधिकारी–कर्मचारी की मिलीभगत सामने आई है। आरोपियों ने जानबूझकर गलत रिपोर्ट तैयार की ताकि ज्यादा मुआवजा दिखाकर मोटा कमीशन वसूला जा सके।

किस-किस पर गिरी गाज?

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के बाद मामला उजागर हुआ और प्रशासन हरकत में आया। जांच में गंभीर अनियमितताओं के चलते कोरबा के डिप्टी कलेक्टर शशिकांत कुर्रे को निलंबित कर दिया गया। इससे पहले जगदलपुर नगर निगम आयुक्त निर्भय साहू को भी सस्पेंड किया गया था।

इन अधिकारियों पर 43.18 करोड़ रुपये के घोटाले में संलिप्तता का आरोप है। जांच रिपोर्ट में बताया गया कि संबंधित अधिकारियों ने मुआवजा तय करने में नियमों की अनदेखी की और दस्तावेजों की बैक डेटिंग कर प्रक्रिया को अवैध रूप से अंजाम दिया।

NHAI की आपत्ति और रिपोर्ट का असर

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने इस मुआवजा गड़बड़ी पर आपत्ति जताई थी, जिसके बाद राजस्व विभाग के अवर सचिव के निर्देश पर जांच रिपोर्ट तैयार की गई। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि किस तरह विभागीय अधिकारियों ने मिलीभगत कर सरकारी धन का दुरुपयोग किया।

प्रोजेक्ट के तहत 9.38 किलोमीटर के लिए 324 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि स्वीकृत की गई थी, जिसमें से 246 करोड़ का भुगतान पहले ही हो चुका है। शेष 78 करोड़ का वितरण रोक दिया गया है।

अब आगे क्या?

EOW ने सभी आरोपियों से विस्तृत पूछताछ की योजना बनाई है। जांच एजेंसी अब इस बात की तह तक जाने की कोशिश में है कि किस स्तर तक अधिकारियों की मिलीभगत थी और इस घोटाले से कुल कितने सरकारी पैसे की बर्बादी हुई है। साथ ही फरार आरोपियों की भी तलाश की जा रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते यह मामला सामने न आता, तो राजकोष को और बड़ा नुकसान हो सकता था। भारत माला परियोजना जैसे महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में इस तरह की अनियमितताएं सवाल खड़े करती हैं।

 

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