रायपुर। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में करीब चार साल पहले 7 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया 700 सीटर ऑडिटोरियम बदहाली की भेंट चढ़ गया है। अब यह भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है और खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। निर्माण कार्य अधूरा छोड़ दिए जाने के चलते यह स्थिति बनी है। अब अधिकारियों ने मरम्मत का कार्य प्रारंभ किया है, लेकिन सवाल यह है कि आखिर इतना बड़ा निवेश किसकी लापरवाही की वजह से बर्बाद हो गया?
ऑडिटोरियम का निर्माण अधूरा छोड़ा गया
शासन ने 27 अप्रैल 2018 को ऑडिटोरियम निर्माण के लिए 7 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी थी। पीडब्ल्यूडी ने मेसर्स ईशान कंस्ट्रक्शन कंपनी को 6.43 करोड़ की लागत से निर्माण कार्य सौंपा। निर्माण का काम मार्च 2021 तक पूरा भी हो गया, लेकिन ऑडिटोरियम की फिनिशिंग, जैसे कुर्सियां, छत की सजावट और साउंड सिस्टम जैसी आवश्यक सुविधाओं के लिए बजट मंजूर नहीं हो सका।
बजट नहीं मिला, अफसरों ने प्रोजेक्ट बंद कर दिया
वांछित बजट नहीं मिलने के कारण पीडब्ल्यूडी ने प्रोजेक्ट अधूरा ही छोड़ दिया। वहीं विभाग ने विवि प्रशासन से ऑडिटोरियम हैंडओवर लेने को कहा, लेकिन विश्वविद्यालय ने काम अधूरा होने का हवाला देते हुए इसे लेने से इनकार कर दिया। इस खींचतान के चलते पिछले चार वर्षों में करोड़ों की लागत से बना भवन पूरी तरह से जर्जर हो गया।
जांच में सामने आई खामियां
हाल ही में पांच सदस्यीय अफसरों की टीम से जांच कराई गई, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए। जांच रिपोर्ट में सामने आया कि भवन में प्लास्टर गिर रहा है, डक्ट क्षतिग्रस्त हैं और छत पर टिन शेड अधूरा लगा है। बिल्डिंग काली मिट्टी पर बनी है और पास ही बहने वाले नाले का पानी बरसात में परिसर में भर जाता है, जिससे दीवारों में दरारें पड़ रही हैं। एक सप्ताह पहले तो भवन का फ्रंट हिस्सा भी ढह गया।
मरम्मत पर 72 लाख खर्च, अभी चाहिए 4 करोड़
कुलसचिव सुनील शर्मा ने जानकारी दी कि ऑडिटोरियम निर्माण पर अब तक 6.28 करोड़ खर्च हो चुके हैं, जबकि मरम्मत कार्य में 72 लाख की राशि खर्च की जा रही है। नल चोरी, सीटें नहीं लगने जैसे बिंदुओं की जांच की जा रही है, इसके बाद ही भवन हैंडओवर किया जाएगा।
पीडब्ल्यूडी ने पहले ही दी थी चेतावनी
पीडब्ल्यूडी जोन-3 के अधिकारियों ने जनवरी 2020 में विवि के कुलसचिव को पत्र भेजकर द्वितीय चरण के बजट की मांग की थी और स्पष्ट लिखा था कि यदि यह कार्य नहीं हुए तो भवन की उपयोगिता ही नहीं रहेगी। लेकिन इस चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया गया।
अब फिर से उम्मीद की किरण
पीडब्ल्यूडी के सीई ज्ञानेश्वर कश्यप के अनुसार, ऑडिटोरियम को पूरी तरह से उपयोगी बनाने के लिए अभी 4 करोड़ रुपये और खर्च करने होंगे। विश्वविद्यालय द्वारा फंड जारी होते ही अधूरे कार्य फिर से शुरू किए जाएंगे।