कटघोरा विधानसभा के उतरदा में पुल नहीं, स्कूली बच्चों की जान जोखिम में — ग्रामीणों ने प्रशासन से की पुल निर्माण की मांग


 

कोरबा | 17 जुलाई 2025
कटघोरा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम उतरदा में पितनी नदी पर पुल नहीं होने के कारण ग्रामीणों और स्कूली बच्चों की रोजाना की ज़िंदगी जोखिम में है। ग्रामीणों को हर दिन नदी पार करके जरूरी कामकाज, इलाज और बच्चों को स्कूल पहुंचाने की जद्दोजहद झेलनी पड़ रही है।

स्कूली बच्चों की परेशानी सबसे ज्यादा है। बच्चे अपने यूनिफॉर्म और बैग को बचाते हुए बहाव वाले पानी से गुजरते हैं। बारिश के दिनों में हालात और भी गंभीर हो जाते हैं, जब नदी का जलस्तर बढ़ जाता है और पार करना खतरे से खाली नहीं रहता। कई बार बच्चे स्कूल नहीं जा पाते या फिर भीगकर पहुंचते हैं, जिससे बीमार पड़ने का खतरा भी बना रहता है।

पुल का प्रस्ताव अटका, टेंडर की प्रक्रिया शुरू नहीं

स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों की मांग पर 30 मीटर लंबे पुल का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया है। लोक निर्माण विभाग (PWD) को निर्माण एजेंसी नियुक्त किया गया है और पुल की अनुमानित लागत 1 करोड़ 78 लाख रुपए आंकी गई है।

हालांकि, अब तक न तो टेंडर की प्रक्रिया शुरू हुई है और न ही निर्माण की कोई स्पष्ट समयसीमा तय की गई है। इससे नाराज ग्रामीणों ने प्रशासन से जल्द कार्रवाई की मांग की है।

प्रशासन ने जारी की चेतावनी, लेकिन समाधान नहीं

प्रशासन की ओर से बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अभिभावकों को सतर्क रहने की अपील की गई है। लेकिन बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित परिजन मजबूरी में उन्हें स्कूल भेज रहे हैं।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इस रास्ते से सिर्फ बच्चे ही नहीं, बल्कि आस-पास के गांवों के सैकड़ों लोग रोज आवाजाही करते हैं। ऐसे में यदि जल्द पुल नहीं बना तो किसी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता।

ग्रामीणों की मांग — "बारिश से पहले बन जाए पुल"

उतरदा, रेलडबरी, बरबसपुर और आसपास के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि बारिश के मौसम को देखते हुए निर्माण कार्य में तेजी लाई जाए और टेंडर प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाए।

ग्रामीणों का कहना है कि यह समस्या वर्षों से चली आ रही है, लेकिन अब समय आ गया है कि शासन-प्रशासन ठोस कदम उठाए।

"बच्चों की जान और भविष्य दोनों दांव पर हैं। अगर बारिश के पहले पुल बन जाए तो सैकड़ों लोगों को राहत मिलेगी," — यह अपील अब एक स्वर में उठ रही है।

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