महिला आयोग में तीन गंभीर मामलों की सुनवाई: डीएनए टेस्ट, भरण-पोषण और संपत्ति विवाद पर अहम निर्देश


 

रायपुर, 16 जुलाई 2025 — छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग में मंगलवार को महिला उत्पीड़न से जुड़े कई मामलों की सुनवाई हुई, जिसमें गरियाबंद, गुढ़ियारी और रायपुर की पीड़ित महिलाओं ने अपने-अपने मामलों में न्याय की गुहार लगाई। आयोग अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में हुई इस सुनवाई में कई महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए गए।

पति नहीं मान रहा पत्नी और बच्चे को, आयोग ने आदेशित किया डीएनए टेस्ट

गरियाबंद की एक महिला ने आयोग को बताया कि उसका पति न सिर्फ उसे पत्नी मानने से इंकार कर रहा है, बल्कि उनके बच्चे को भी अपना नहीं मानता। मामले की गंभीरता को देखते हुए आयोग ने कलेक्टर को पत्र लिखकर तीनों (महिला, पुरुष और बच्चा) का डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया है। रिपोर्ट दो माह के भीतर आयोग को सौंपने को कहा गया है। साथ ही स्थानीय पुलिस अधिकारियों को भी इस प्रक्रिया की निगरानी के निर्देश दिए गए हैं।

भरण-पोषण को लेकर बनी सहमति: हर माह 2000 रुपये देगा पूर्व पति

एक अन्य मामले में रायपुर निवासी महिला ने बताया कि उसने अपने पति से आपसी सहमति से तलाक लिया था, लेकिन पूर्व पति भरण-पोषण की जिम्मेदारी से बचने के लिए खुद को बेरोजगार बता रहा था। सुनवाई के दौरान आयोग ने दोनों पक्षों से बातचीत कर सहमति कराई, जिसके तहत पूर्व पति ने हर महीने 10 तारीख तक 2000 रुपये देने की सहमति दी है। यह भुगतान तब तक जारी रहेगा जब तक महिला दोबारा विवाह नहीं करती। अगर वह दोबारा विवाह नहीं करती, तो यह राशि जीवनभर दी जाएगी। आर्थिक स्थिति में बदलाव होने पर इस राशि की पुनर्समीक्षा भी की जाएगी।

पति की मौत के बाद बहू को नहीं मिला सहयोग, आयोग ने सास को दिए निर्देश

गुढ़ियारी की एक महिला ने शिकायत की कि उसके पति की मृत्यु के बाद सास-ससुर ने संपत्ति और किराए की आय पर कब्जा कर लिया है, जबकि वह अपने दो छोटे बच्चों के साथ किराए के मकान में रह रही है। आयोग ने इस मामले में सास को निर्देशित किया कि वे सभी एक साथ एक ही घर में रहें और किराए से मिलने वाली कुल राशि में से 6 हजार रुपये बहू को दें। इसके साथ ही मृतक पति के नाम मिले 4 लाख रुपये में से 2 लाख रुपये बच्चों के नाम से फिक्स डिपॉजिट कराने को भी कहा गया है, जिससे उनके भविष्य की पढ़ाई का खर्च पूरा किया जा सके।

सुनवाई के दौरान आयोग अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक के साथ सदस्य लक्ष्मी वर्मा, सरला कोसरिया और ओजस्वी मंडावी भी उपस्थित रहीं। आयोग ने सभी मामलों की नियमित निगरानी करने और पीड़ित महिलाओं को समयबद्ध न्याय दिलाने का आश्वासन दिया।

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