कोरिया, छत्तीसगढ़।
छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के युवा किसान भारत राजवाड़े ने यह साबित कर दिया है कि अगर खेती में जुनून, मेहनत और आधुनिक तकनीकों को अपनाया जाए, तो किसानी न केवल लाभदायक बन सकती है बल्कि एक उदाहरण भी पेश कर सकती है। पारंपरिक खेती से आगे बढ़ते हुए भारत ने अपने तीन एकड़ खेत में नवाचार और तकनीकी हस्तक्षेप के जरिए खेती को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।
धान से हटकर विदेशी सब्जियों की ओर रुख
भारत राजवाड़े ने पहले की तरह केवल धान या गेहूं पर निर्भर रहने के बजाय खेती में विविधता लाई। उन्होंने विदेशी सब्जियों जैसे ब्रोकली, बैंगनी और पीली फूलगोभी, पीला तरबूज, स्वीट कॉर्न, सफेद करेला और चाइनीज सब्जियों की खेती शुरू की। इस बदलाव के पीछे उनका उद्देश्य था—कम समय में तैयार होने वाली फसलों से अधिक लाभ कमाना।
तकनीकी नवाचार: रेन पाइप और ड्रिप इरिगेशन का उपयोग
खेती को जलवायु और संसाधनों के अनुसार ढालते हुए भारत ने रेन पाइप और ड्रिप इरिगेशन सिस्टम अपनाया। इससे जल की बचत के साथ-साथ पौधों को नियमित और नियंत्रित सिंचाई मिली, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में वृद्धि हुई। इस तकनीक के कारण सिंचाई की लागत घटी और पौधों को समय पर पोषण मिल पाया।
जैविक खाद और शेड नेट का महत्व
विदेशी सब्जियों की खेती के लिए भूमि की उर्वरता बढ़ाना आवश्यक था, जिसके लिए भारत ने रासायनिक खादों के स्थान पर जैविक खादों का उपयोग किया। इससे मिट्टी की गुणवत्ता तो सुधरी ही, साथ ही उत्पाद भी स्वास्थ्य के अनुकूल बने। जलवायु के अनुकूल वातावरण देने के लिए उद्यानिकी विभाग की योजना का लाभ उठाकर शेड नेट लगवाया, जिससे तापमान नियंत्रण में रहा और पौधों पर मौसम का प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा।
ऑनलाइन बीज और आधुनिक प्रयोग
भारत ने ऑनलाइन माध्यम से उच्च गुणवत्ता के विदेशी बीज मंगवाए और उनमें स्थानीय जलवायु व मिट्टी के अनुसार प्रयोग किए। उनके द्वारा अपनाई गई मिक्स क्रॉपिंग तकनीक ने भूमि की उत्पादकता को बढ़ाने में मदद की। उन्होंने एक ही खेत में कई फसलें बोकर जोखिम को घटाया और आय के स्त्रोत को भी बढ़ाया।
हर साल 3 लाख रुपए तक का अतिरिक्त मुनाफा
भारत राजवाड़े की मेहनत रंग लाई। जहां पहले वे केवल एक फसल से सीमित आमदनी पाते थे, अब हर साल 2.5 से 3 लाख रुपए तक का अतिरिक्त मुनाफा कमा रहे हैं। उनकी सब्जियां बैकुंठपुर बाजार में हाथों-हाथ बिक जाती हैं क्योंकि ये सामान्य सब्जियों की तुलना में अधिक पौष्टिक, आकर्षक और स्वाद में अलग होती हैं।
प्रेरणा बन रहे हैं युवा किसानों के लिए
भारत राजवाड़े की यह यात्रा केवल एक किसान की सफलता नहीं, बल्कि यह ग्रामीण युवाओं के लिए एक मार्गदर्शन बन चुकी है। उन्होंने यह दिखाया है कि खेती में केवल परंपरा के सहारे नहीं जिया जा सकता, बल्कि नवाचार, शिक्षा और तकनीकी ज्ञान के साथ खेती को व्यवसायिक और मुनाफेदार बनाया जा सकता है।
भारत कहते हैं—“खेती में अगर लगन और प्रयोग की इच्छा हो, तो कम जमीन में भी बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है। आधुनिक तरीकों से जुड़ने पर ही गांव और किसान दोनों आगे बढ़ सकते हैं।”
सरकार और विभागों से मिली मदद
खेती के इस नए सफर में भारत को सरकारी योजनाओं से भी मदद मिली। उद्यानिकी विभाग की विभिन्न योजनाओं, प्रशिक्षण और सब्सिडी से उन्हें तकनीकी सहायता मिली, जिससे शेड नेट, ड्रिप सिस्टम और जैविक खाद की उपलब्धता सुनिश्चित हुई।