दुर्ग, छत्तीसगढ़ | 30 जुलाई 2025:
दुर्ग रेलवे स्टेशन से 25 जुलाई को गिरफ्तार की गई दो कैथोलिक ननों प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस का मामला अब पूरी तरह से राजनीतिक रंग ले चुका है। कथित रूप से मानव तस्करी और धर्मांतरण के आरोपों में गिरफ्तार की गई इन ननों से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की वरिष्ठ नेता बृंदा करात ने 30 जुलाई की सुबह दुर्ग सेंट्रल जेल में मुलाकात की। इस दौरान उनके साथ सीपीआई की राष्ट्रीय सचिव एनी राजा भी मौजूद थीं। दोनों नेताओं ने ननों की गिरफ्तारी को झूठा और दुर्भावनापूर्ण बताते हुए तत्काल रिहाई की मांग की।
बृंदा करात ने जेल से बाहर निकलने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा, “इन दोनों ननों को एक फर्जी और बेबुनियाद मामले में फंसाया गया है। इनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, बल्कि ये सालों से समाज के कमजोर तबकों के बीच निःस्वार्थ सेवा कर रही थीं। यह पूरी कार्रवाई ईसाई समुदाय को बदनाम करने और डराने की साजिश है।” उन्होंने बजरंग दल पर आरोप लगाया कि उन्होंने ननों को विदेशी बताकर गुमराह किया, जबकि उनके पास सभी वैध दस्तावेज हैं।
जेल में खराब हालात, स्वास्थ्य पर चिंता
सीपीआई नेता एनी राजा ने बताया कि दोनों ननों की तबीयत जेल में बिगड़ गई है और उन्हें जमीन पर सोने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने जेल प्रशासन की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए इसे अमानवीय बताया। “हमने खुद देखा कि इन ननों को कैसे रखा गया है। यह सीधा मानवाधिकार का उल्लंघन है,” एनी राजा ने कहा।
बृंदा करात और एनी राजा ने न केवल गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया, बल्कि दर्ज की गई FIR को भी वापस लेने की मांग की। नेताओं ने कहा कि यह धार्मिक पूर्वाग्रह पर आधारित कार्रवाई है और इससे अल्पसंख्यक समुदाय में भय का माहौल बन रहा है।
पिछली मुलाकात से रोका गया था
बृंदा करात और एनी राजा 29 जुलाई की शाम भी ननों से मिलने दुर्ग जेल पहुंची थीं, लेकिन निर्धारित समय से देर से पहुंचने के कारण उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया था। इसके बाद जेल प्रशासन ने उन्हें 30 जुलाई को सुबह 9:30 बजे मुलाकात की अनुमति दी।
समर्थन में विपक्षी सांसद और परिवार
इससे पहले 29 जुलाई को केरल से चार सांसद—एन.के. प्रेमचंदन, सप्तगिरि शंकर उल्का, फ्रांसिस जॉर्ज, अनिल ए. थॉमस और विधायक रोजी एम. जॉन—दुर्ग जेल पहुंचे और ननों से मुलाकात की। छत्तीसगढ़ कांग्रेस की सह प्रभारी जरिता लेतफलांग भी इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थीं। सभी नेताओं ने ननों को न्याय दिलाने की बात कही।
ननों के परिजन भी जेल पहुंचकर उनसे मिले। उनके भाइयों ने कहा कि उन्हें ननों की सेवा भावना और निर्दोषता पर पूरा भरोसा है। परिवार ने आरोपों को निराधार बताते हुए उम्मीद जताई कि अदालत से न्याय मिलेगा।
विपक्ष ने साधा निशाना, सरकार पर सवाल
विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर बीजेपी सरकार को घेरा है। नेताओं का कहना है कि यह घटना सरकार की ‘अल्पसंख्यक विरोधी’ सोच को उजागर करती है। विपक्ष का आरोप है कि देशभर में ईसाई समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है और यह गिरफ्तारी उसी साजिश का हिस्सा है।
विधायक रोजी एम. जॉन ने कहा, “अगर धर्मांतरण या तस्करी जैसी गतिविधियों का कोई इरादा होता, तो ये महिलाएं खुली पोशाक में और सामान्य ट्रेन यात्रा के जरिए नहीं आतीं। इनका हर कदम पारदर्शी और सेवा भाव से प्रेरित है।”
निष्पक्ष जांच और न्याय की मांग
विपक्ष ने मांग की है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और जब तक कोई ठोस प्रमाण सामने नहीं आते, तब तक ननों को जेल में रखने का कोई औचित्य नहीं है। बृंदा करात ने स्पष्ट कहा कि वो इस मुद्दे को संसद तक लेकर जाएंगी और ननों के अधिकारों की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेंगी।
मामला अब अदालत में
फिलहाल यह मामला अदालत में विचाराधीन है और दोनों नन दुर्ग केंद्रीय जेल में न्यायिक हिरासत में हैं। अगली सुनवाई की तारीख तय की जा रही है, जिसके बाद इस पूरे मामले की दिशा तय होगी।
इस मामले ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में गर्मी ला दी है और आने वाले दिनों में इसे लेकर और तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ सकती हैं। सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की बात कही है।