दंतेवाड़ा। बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले के कसौली गांव के किसान सुरेश कुमार नाग ने जिले में जैविक खेती का नया रास्ता दिखाया है। सुरेश ने धान की खेती में मेडागास्कर पद्धति अपनाकर न सिर्फ उत्पादन बढ़ाया, बल्कि खेती की लागत भी काफी घटा दी है।
सुरेश ने बताया कि पारंपरिक खेती में जहां एक हेक्टेयर खेत में 30 से 50 किलो बीज की जरूरत होती थी, वहीं मेडागास्कर पद्धति से अब महज 8 से 12 किलो बीज में ही अच्छी पैदावार मिल रही है। इससे बीज की खपत में करीब 76 प्रतिशत की कमी आई है। इसके साथ ही उन्होंने रोटा, शनई और डेन्चा जैसी दलहनी फसलों को हरी खाद के रूप में खेतों में मिलाकर मिट्टी की उर्वरता और जलधारण क्षमता को बढ़ाया है।
खास बात यह है कि सुरेश रासायनिक कीटनाशकों के बजाय खुद का तैयार किया हुआ जीवामृत इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे फसलों में रोगों का प्रकोप भी कम हो रहा है और उत्पादन बेहतर हो रहा है। उनके अनुसार, जैविक तरीकों से खेती करने से लागत करीब 50 फीसदी तक घट गई है।
सुरेश ने बताया कि उन्होंने कतार पद्धति से धान की बुवाई कर फसलों को बेहतर धूप और वायुसंचार का लाभ भी दिलाया। अब तक वह 50 से ज्यादा किसानों को जैविक खेती की तकनीक सिखा चुके हैं। उन्होंने किसानों का एक समूह भी बनाया है, जिसमें उन्हें जीवामृत, बीजामृत, हंडी दवा और मछली टॉनिक बनाने की विधियां सिखाई जा रही हैं।
सुरेश का कहना है कि जैविक खेती न केवल कम लागत वाली है, बल्कि मिट्टी को भी लंबे समय तक उपजाऊ बनाए रखने में मदद करती है। उनका प्रयास अब अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रहा है।