बिलासपुर में तेज रफ्तार हाइवा पलटा, तीन गायों की दर्दनाक मौत, ग्रामीणों में आक्रोश


 

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में सोमवार देर रात एक बड़ा हादसा हुआ, जिसने न केवल जानमाल का नुकसान पहुंचाया, बल्कि एक बार फिर हाईवे पर सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी। रतनपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत नेशनल हाईवे-130 पर कराड गांव के पास राखड़ से भरा एक हाइवा वाहन अनियंत्रित होकर पलट गया। हादसे में सड़क किनारे बैठी तीन गायों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। घटना के बाद हाइवा का ड्राइवर और कंडक्टर वाहन छोड़कर मौके से फरार हो गए।

हादसा कैसे हुआ?

जानकारी के अनुसार, यह हादसा सोमवार रात करीब 11:30 बजे हुआ। कोरबा से रायपुर की ओर जा रहा हाइवा राखड़ से लदा हुआ था। जब वह कराड गांव के पास पहुंचा, तो अनियंत्रित होकर पलट गया। वाहन की रफ्तार अधिक थी और लोडिंग असंतुलित थी, जिससे चालक नियंत्रण नहीं रख सका। पलटने के दौरान हाइवा सीधे सड़क किनारे बैठी तीन गायों के ऊपर जा गिरा, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।

मौके पर पहुंची पुलिस

घटना की सूचना मिलते ही रतनपुर थाना प्रभारी नरेश चौहान तत्काल अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने हाईवे पर लग चुके जाम को हटाने के लिए प्रशासनिक सहयोग से हाइड्रा और एक्सकेवेटर मंगवाया। इन मशीनों की सहायता से भारी हाइवा को सड़क से हटाया गया और ट्रैफिक व्यवस्था बहाल की गई। हादसे के बाद कुछ देर के लिए नेशनल हाईवे पर यातायात पूरी तरह बाधित रहा।

तेज रफ्तार और लोडिंग की अनदेखी बनी हादसे की वजह

प्रारंभिक जांच में पुलिस ने माना है कि हाइवा की तेज रफ्तार और असंतुलित लोडिंग इस हादसे की मुख्य वजह बनी। अक्सर देखा गया है कि राखड़ या कोयला लादे वाहनों में ओवरलोडिंग की जाती है, जिससे उनका संतुलन बिगड़ जाता है। इसके साथ ही रात्रिकालीन समय में वाहनों की रफ्तार पर कोई नियंत्रण नहीं होने से दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है।

ग्रामीणों और पशुप्रेमियों का फूटा गुस्सा

घटना के बाद कराड गांव के ग्रामीणों और पशुप्रेमियों ने प्रशासन पर नाराजगी जाहिर की। उनका कहना है कि नेशनल हाईवे पर रात के समय मवेशियों की सुरक्षा के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। ग्रामीणों ने मांग की कि हाईवे पर नियमित पेट्रोलिंग, गति सीमा नियंत्रण और मवेशियों को सुरक्षित रखने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए।

हाईकोर्ट के आदेशों की उड़ रही धज्जियां

ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि हाईकोर्ट के निर्देशों के बावजूद हाईवे पर सुरक्षा प्रबंधों की अनदेखी की जा रही है। कई बार कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि सड़कों पर मवेशियों की मौत को रोकने के लिए प्रशासन जिम्मेदार है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग नजर आती है। न तो कोई चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं और न ही कोई रात्रिकालीन गश्त की व्यवस्था की गई है।

आगे की कार्रवाई

पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और फरार ड्राइवर और कंडक्टर की तलाश शुरू कर दी है। साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि वाहन ओवरलोड था या नहीं और क्या उसमें फिटनेस या परमिट संबंधी कोई गड़बड़ी थी। प्रशासन ने मृत गायों का पंचायत स्तर पर अंतिम संस्कार कर दिया है और संबंधित विभाग को रिपोर्ट सौंपी गई है।

इस हादसे ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमारी सड़कों पर आखिर कितनी सुरक्षित है जीव-जंतु और आम नागरिक? क्या प्रशासन और सरकार मिलकर इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाएंगे या ऐसी घटनाएं यूं ही घटती रहेंगी

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