सौर ऊर्जा आधारित मिनी कोल्ड स्टोरेज से बदलेगी खेती की तस्वीर: रायपुर में तकनीकी कार्यशाला सम्पन्न


 

रायपुर, 28 जुलाई 2025। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के ‘इंद्रावती भवन’ सभागार में आज एक अहम तकनीकी कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें फल एवं सब्जियों के भण्डारण हेतु सोलर पॉवर मिनी कोल्ड रूम की स्थापना विषय पर विस्तार से चर्चा हुई। इस कार्यशाला का आयोजन उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी विभाग द्वारा लॉयड इन्सुलेशन लिमिटेड के तकनीकी सहयोग से किया गया था।

राज्य के विभिन्न जिलों से आए प्रगतिशील कृषकों, सब्जी विक्रेता संघ के प्रतिनिधियों, विशेषज्ञों और कृषि अधिकारियों ने कार्यशाला में सहभागिता की। यह आयोजन किसानों को भंडारण के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों से अवगत कराने के उद्देश्य से किया गया ताकि उत्पादन के बाद होने वाले नुकसान को रोका जा सके और उत्पादों की गुणवत्ता एवं मूल्य दोनों में सुधार लाया जा सके।

सौर ऊर्जा आधारित कोल्ड स्टोरेज की उपयोगिता

कार्यशाला में मौजूद तकनीकी विशेषज्ञों ने बताया कि सोलर पॉवर से संचालित मिनी कोल्ड स्टोरेज, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बेहद उपयोगी साबित हो रहे हैं। पारंपरिक बिजली की निर्भरता से मुक्त ये शीतगृह न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि इनके संचालन में आने वाली लागत भी बेहद कम होती है। इनका उपयोग करके किसान अपने उत्पादों जैसे फल, सब्जियाँ, फूल इत्यादि को लंबे समय तक ताजगी के साथ संरक्षित रख सकते हैं, जिससे बाजार में बेहतर दाम प्राप्त होते हैं।

विशेषज्ञों ने बताया कि एकीकृत बागवानी विकास मिशन के अंतर्गत इन सोलर पॉवर कोल्ड रूम की स्थापना के लिए सरकार द्वारा अनुदान भी दिया जा रहा है। सामान्य क्षेत्र के किसानों को 20 लाख रुपये की लागत पर 35% यानी 7 लाख रुपये तक का अनुदान दिया जा रहा है जबकि अधिसूचित क्षेत्रों के किसानों को 50% यानी 10 लाख रुपये का अनुदान प्राप्त हो सकता है।

आधुनिक सुविधाओं से लैस है कोल्ड स्टोरेज

विशेषज्ञों ने बताया कि ये शीतगृह मोबाइल तकनीक से भी संचालित किए जा सकते हैं। किसानों को कोल्ड स्टोरेज की तापमान स्थितियों, बिजली की खपत, दरवाजों की स्थिति आदि की जानकारी मोबाइल कॉल और SMS के माध्यम से निरंतर प्राप्त होती रहती है। यह तकनीक उन किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है जो अपने उत्पाद को फसल कटाई के बाद कुछ समय तक सुरक्षित रखना चाहते हैं।

कार्यशाला में यह भी बताया गया कि इन कोल्ड स्टोरेज के माध्यम से किसानों को हानिकारक गैसों के उत्सर्जन से बचाव, पर्यावरण की सुरक्षा, अवशेष उत्पाद की बिक्री क्षमता में वृद्धि, कुल लाभ में इजाफा, और बिजली पर निर्भरता में कमी जैसे कई लाभ मिलते हैं। इसके अलावा, उच्च तापमान में खराब हो जाने वाले उत्पादों की गुणवत्ता बनी रहती है जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ती है।

किसानों ने जताई गहरी रुचि, रखे अपने सुझाव

कार्यशाला में आए किसानों ने इस तकनीक को अत्यंत उपयोगी बताते हुए कई सवाल पूछे और अपने सुझाव भी साझा किए। विशेषज्ञों ने किसानों के सभी प्रश्नों का उत्तर देते हुए उन्हें तकनीकी, वित्तीय और प्रशासनिक सहायता के तरीकों से भी अवगत कराया। कई किसानों ने ऐसे शीतगृहों की स्थापना प्रक्रिया, जमीन की आवश्यकता, तकनीकी स्टाफ की उपलब्धता एवं लागत की वहन क्षमता जैसे मुद्दों पर चर्चा की।

कार्यशाला में उपस्थित अधिकारियों में उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक नीरज शाहा, मनोज अम्बष्ट, जिला रायपुर से कैलाश सिंह पैकरा, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस से सुरेश ठाकुर और प्रतीक्षा बंजारे शामिल रहे। वहीं, लॉयड इन्सुलेशन लिमिटेड के प्रतिनिधियों ने तकनीकी पक्ष को समझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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