बिलासपुर में बैंक फर्जीवाड़ा: दो महिला बैंककर्मी समेत चार गिरफ्तार, 70 लाख रुपये की हेराफेरी का मामला


 

बिलासपुर में एक बड़ा वित्तीय घोटाला उजागर हुआ है, जहां बैंककर्मी की मिलीभगत से एक युवक ने भारी-भरकम रकम का फर्जीवाड़ा कर लिया। घटना ने शहर में वित्तीय सुरक्षा और बैंकिंग प्रक्रियाओं पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

मामला कैसे सामने आया

जानकारी के अनुसार, सरकंडा क्षेत्र स्थित एचडीएफसी बैंक के मैनेजर सत्यजीत कुमार राय ने पुलिस को शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके बैंक में धोखाधड़ी हुई है। जांच में सामने आया कि गीतांजलि सिटी में रहने वाले एडवर्ड थामस नामक युवक ने 70 लाख रुपये का चेक जमा किया था। प्रारंभिक जांच के बाद बैंक कर्मचारियों ने यह राशि एडवर्ड के खाते में डाल दी।

खाता सक्रिय होते ही एडवर्ड ने अपने साथी रितेश केशरवानी (निवासी महंतपारा, शिवरीनारायण) के साथ मिलकर रकम को अलग-अलग खातों और माध्यमों से निकालना शुरू कर दिया। चेक असली प्रतीत हो रहा था, लेकिन बाद में पता चला कि यह फर्जी था।

बैंक की भूमिका पर उठे सवाल

पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतनी बड़ी राशि का चेक कैसे बिना पूरी जांच-पड़ताल के पास कर दिया गया। यही लापरवाही घोटाले का कारण बनी। प्रारंभिक जांच में यह भी उजागर हुआ कि बैंक की दो महिला कर्मचारी सोनल खूंटे और आरती यादव ने आरोपी की मदद की। आरोप है कि कर्मचारियों ने नियमों की अनदेखी कर रकम को निकालने की प्रक्रिया आसान बना दी।

पुलिस की कार्रवाई

शिकायत दर्ज होते ही सरकंडा पुलिस ने तत्काल जांच शुरू की। पूछताछ के दौरान रितेश को हिरासत में लिया गया और उससे पूछताछ की गई। पूछताछ में उसने खुलासा किया कि बैंक की दोनों महिला कर्मचारियों ने ही एडवर्ड को यह रकम निकलवाने में मदद की थी।

डीएसपी सिद्धार्थ बघेल ने बताया कि सभी साक्ष्य जुटाने के बाद पुलिस ने एडवर्ड थामस, रितेश केशरवानी, सोनल खूंटे और आरती यादव को गिरफ्तार कर लिया। चारों को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।

आगे की जांच

पुलिस का कहना है कि यह मामला केवल चार लोगों तक सीमित नहीं हो सकता। संभावना जताई जा रही है कि इस धोखाधड़ी में और भी लोग शामिल हों। फिलहाल पुलिस सभी खातों और लेन-देन की बारीकी से जांच कर रही है। बैंक से निकाले गए रुपये कहां और किन खातों में स्थानांतरित किए गए, इसकी पड़ताल की जा रही है।

शहर में चर्चा का विषय

70 लाख रुपये की इस हेराफेरी ने शहर के आम नागरिकों में चिंता पैदा कर दी है। लोग सवाल कर रहे हैं कि यदि बैंक के कर्मचारी ही फर्जीवाड़े में शामिल होंगे तो आम जनता की मेहनत की कमाई कितनी सुरक्षित है।

प्रशासन की सख्ती

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि किसी भी स्थिति में आरोपियों को बख्शा नहीं जाएगा। अदालत में मजबूत केस पेश करने की तैयारी चल रही है ताकि दोषियों को कड़ी सजा दी जा सके।

सबक और चेतावनी

यह घटना बताती है कि वित्तीय लेन-देन में लापरवाही कितनी बड़ी हानि का कारण बन सकती है। बैंकिंग सिस्टम में सुरक्षा की दृष्टि से और अधिक पारदर्शिता और सतर्कता जरूरी है।

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