धमतरी जिले के उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में वन्य जीवों की संख्या बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण अभियान शुरू किया गया है। वन विभाग की ओर से इस पहल के तहत रायपुर जंगल सफारी से 35 हिरणों को सुरक्षित रूप से रिजर्व के जंगल में छोड़ा गया। वन विभाग ने इस कार्यक्रम को ड्रोन कैमरों की मदद से रिकॉर्ड किया, जिसमें हिरण खुले जंगल में स्वतंत्र रूप से दौड़ते और घास चरते दिखाई दिए।
उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के उप निदेशक वरुण जैन के नेतृत्व में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। उन्होंने बताया कि यह पहल 'Prey base augmentation' प्रोग्राम के अंतर्गत की गई है। इस प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य हिरण, सांभर और नीलगाय जैसी शाकाहारी प्रजातियों की संख्या में वृद्धि करना है। इसके अलावा, इससे मांसाहारी जानवरों के लिए भोजन की पर्याप्त उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी।
वन विभाग के अनुसार, इस पहल से मानव-वन्यजीव संघर्ष को भी कम करने में सहायता मिलेगी। जंगलों से बाहर आने वाले जानवरों की संख्या घटने से आसपास के गांवों में फसलों और निवासियों को होने वाले नुकसान की संभावना कम होगी। वन विभाग ने हिरणों को जंगल में छोड़ते समय उनका स्वास्थ्य, सुरक्षित परिवहन और जंगल में सहज रूप से घुल-मिलने पर विशेष ध्यान रखा।
ड्रोन कैमरे से कैद किए गए वीडियो में देखा जा सकता है कि हिरणों का झुंड एक-एक कर जंगल में प्रवेश कर रहा है। वे घास चरते और खुले मैदान में दौड़ते नजर आए। इस दृश्य ने वन्यजीव प्रेमियों और स्थानीय लोगों में खुशी और उत्साह बढ़ा दिया।
उप निदेशक जैन ने बताया कि इस कार्यक्रम से रिजर्व की जैव विविधता में सुधार होगा। शाकाहारी प्राणियों की संख्या बढ़ने से टाइगर और अन्य मांसाहारी जानवरों के लिए भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। यह पारिस्थितिकी तंत्र को स्थिर रखने और प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
वन विभाग ने यह भी बताया कि भविष्य में और अधिक हिरण, सांभर और नीलगाय को रिजर्व में लाकर छोड़ा जाएगा। इससे वन्य जीवों की विविधता बढ़ेगी और पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी। इस पहल से न केवल वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि स्थानीय पर्यटन और जंगल सफारी उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा।
वन्यजीव विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों ने इस पहल की सराहना की है। उन्होंने कहा कि शाकाहारी प्रजातियों की संख्या में वृद्धि होने से मांसाहारी जानवरों के भोजन की उपलब्धता बढ़ेगी, जिससे टाइगर और अन्य शिकारी जानवरों के लिए प्राकृतिक शिकार उपलब्ध रहेगा। यह कदम टाइगर रिजर्व के पारिस्थितिक संतुलन और जैव विविधता को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाएगा।
स्थानीय लोगों ने भी इस पहल का स्वागत किया है। वन्यजीवों के सुरक्षित परिवेश में रहने से गांवों में फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले जानवरों की संख्या कम होगी। इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष घटेगा और स्थानीय जीवन भी सुरक्षित रहेगा।
उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व की प्रशासनिक टीम इस कार्यक्रम को सफल बनाने में जुटी हुई है। उप निदेशक जैन ने कहा कि वन विभाग भविष्य में ऐसे और भी कार्यक्रम आयोजित करेगा ताकि वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा मिले और प्राकृतिक संपदा संरक्षित रहे।
इस पहल से साबित होता है कि उचित योजनाओं और संरक्षण उपायों के माध्यम से वन्यजीवों की आबादी में सुधार किया जा सकता है। हिरणों का जंगल में स्वागत न केवल जैव विविधता के लिए लाभकारी है, बल्कि पर्यावरण जागरूकता फैलाने और पर्यटन को बढ़ावा देने में भी सहायक साबित होगा।