ग्राम पंचायतों का सख्त कदम: मोबाइल गेम और शराब पर लगेगा भारी जुर्माना


 

कवर्धा जिले के छुरिया ब्लॉक के ग्राम पंचायत गहिराभेड़ी में बच्चों को मोबाइल गेम की लत से दूर रखने के लिए एक अनूठा और सख्त निर्णय लिया गया है। पंचायत ने साफ कर दिया है कि गांव में कोई भी बच्चा मोबाइल पर फ्री फायर या पबजी खेलते हुए पाया गया, तो उसके पालकों से 5 हजार रुपये का अर्थदंड वसूला जाएगा। खास बात यह है कि इस संबंध में सूचना देने वाले व्यक्ति को पंचायत की ओर से 1 हजार रुपये का इनाम भी मिलेगा।

इस निर्णय को गांव में प्रचारित करने के लिए कोटवार के माध्यम से मुनादी कराई जा रही है। अब तक माह में तीन बार मुनादी करवाई जा चुकी है, जिससे बच्चों और अभिभावकों में जागरूकता बढ़ी है। ग्रामीणों का कहना है कि इस फैसले का सकारात्मक असर दिखने लगा है। बच्चे अब पढ़ाई और खेलकूद में ज्यादा समय दे रहे हैं, जबकि मोबाइल गेम खेलने के मामलों में कमी आई है।

ग्राम पंचायत की सरपंच बेदबाई पोर्ते ने बताया कि यह कदम बच्चों को मोबाइल गेम की बुरी लत से बचाने के उद्देश्य से उठाया गया है। उन्होंने कहा कि हमें इसमें काफी हद तक सफलता मिली है और आगे भी ऐसे प्रयास जारी रहेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पंचायत न केवल मोबाइल गेम पर बल्कि शराब को लेकर भी सख्ती बरतेगी।

इसी कड़ी में, डोंगरगांव क्षेत्र के ग्राम पंचायत माथलडबरी में भी नशा मुक्ति अभियान के तहत महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। ग्राम प्रबंधन समिति और ग्रामीणों की बैठक में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि शराब की अवैध बिक्री करने वालों पर 31 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके साथ ही, सार्वजनिक स्थान पर शराब पीते हुए पकड़े जाने पर 10 हजार रुपये का अर्थदंड लगेगा।

बैठक में यह भी तय हुआ कि नियमों का उल्लंघन करने वालों पर केवल जुर्माना ही नहीं, बल्कि कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। नशा मुक्ति अभियान के तहत ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से शपथ ली कि वे न तो शराब का सेवन करेंगे और न ही उसकी बिक्री को बढ़ावा देंगे।

ग्राम पंचायतों के इन कड़े निर्णयों को ग्रामीणों का पूरा समर्थन मिल रहा है। गहिराभेड़ी में मोबाइल गेम पर रोक और माथलडबरी में शराब पर नियंत्रण, दोनों ही फैसले गांव के सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण को सुधारने की दिशा में अहम कदम हैं।

गहिराभेड़ी में जहां अभिभावक बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं, वहीं पंचायत की सख्ती ने उन्हें राहत दी है। दूसरी ओर, माथलडबरी में शराब के खिलाफ चल रहे अभियान ने गांव के युवाओं और बुजुर्गों को एकजुट किया है। इन दोनों गांवों में लागू किए गए नियमों से यह संदेश जा रहा है कि समाज में बदलाव लाने के लिए सामूहिक प्रयास और अनुशासन जरूरी हैं।

इन पहलों से यह भी साबित होता है कि यदि गांव के लोग एकजुट होकर ठान लें, तो किसी भी नशे या बुरी आदत से छुटकारा पाया जा सकता है। गहिराभेड़ी और माथलडबरी की पहल अन्य पंचायतों के लिए भी प्रेरणादायक उदाहरण बन सकती है। आने वाले समय में उम्मीद है कि ऐसे कदम और भी गांवों में उठाए जाएंगे, जिससे बच्चों और युवाओं को एक बेहतर और स्वस्थ वातावरण मिल सके।

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