भारतमाला प्रोजेक्ट मुआवजा फर्जीवाड़ा मामले में गठित चार जांच समितियों में से दो ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इन रिपोर्टों में स्पष्ट किया गया है कि अधिकारियों की लापरवाही और मिलीभगत की वजह से ही यह बड़ा घोटाला संभव हो पाया। जांच में पाया गया कि जमीन दलालों ने एक ही परिवार के 10 से 12 लोगों के नाम पर जमीन का बंटवारा किया, जो पहली नजर में ही संदिग्ध था। इसके बावजूद जिम्मेदार अफसरों ने इसे नजरअंदाज किया।
जांच समितियों ने दोष उन्हीं अफसरों पर डाला है, जिनके खिलाफ पहले से ही एफआईआर दर्ज है। इनमें तत्कालीन एसडीएम निर्भय कुमार साहू, तहसीलदार शशिकांत कुर्रे, नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण, पटवारी जितेन्द्र कुमार साहू, बसंती घृतलहरे और लेखराम देवांगन शामिल हैं। इन अधिकारियों के साथ-साथ जमीन दलाल हरमीत सिंह खनूजा, विजय जैन, केदार तिवारी और उमा तिवारी के नाम भी आरोपी सूची में हैं। हालांकि सभी आरोपी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि एक बड़े राजनेता के परिवार को इस परियोजना से लगभग 50 करोड़ रुपये का मुआवजा मिला है। हालांकि यह राशि सीधे उनके नाम पर नहीं, बल्कि अन्य व्यक्तियों के खातों में स्थानांतरित की गई। जांच समिति अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि जिन लोगों को भुगतान किया गया है, उनका सीधा संबंध उस राजनेता से है या नहीं। लेकिन चूंकि उस नेता की सरकार में गहरी पकड़ है, इसलिए कोई भी अधिकारी उनके खिलाफ खुलकर बयान देने को तैयार नहीं है, जिससे जांच प्रभावित हो रही है।
दो समितियों की रिपोर्ट क्रमशः 14 और 18 अगस्त को सौंपी गई है, जिनमें कुल 1000 से अधिक पृष्ठ शामिल हैं। इनका अध्ययन चल रहा है और दोषियों पर आगे की कार्रवाई इन्हीं रिपोर्टों के आधार पर तय की जाएगी। वहीं शेष दो समितियों को इस सप्ताह के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। यदि समय पर रिपोर्ट नहीं आई तो संबंधित अफसरों को नोटिस जारी कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
रायपुर और धमतरी संभाग में इस प्रोजेक्ट से जुड़ी कुल 167 शिकायतें दर्ज हुई थीं। इन्हीं शिकायतों की जांच के लिए चार अलग-अलग कमेटियां बनाई गई थीं। फिलहाल दो रिपोर्ट सामने आ चुकी हैं और बाकी दो पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। माना जा रहा है कि शेष रिपोर्टों में कुछ और बड़े नामों का खुलासा हो सकता है।
मामला लगातार गहराता जा रहा है और जनता यह जानने के लिए उत्सुक है कि आखिर इस घोटाले में किस स्तर तक मिलीभगत हुई और कितने बड़े चेहरे इसमें शामिल हैं। यदि जांच निष्पक्ष तरीके से आगे बढ़ी तो संभव है कि आने वाले दिनों में कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आएं।