रायपुर में फर्जी खातों से ठगी का खुलासा, तीन बैंक अधिकारी गिरफ्तार


 

रायपुर में फर्जीवाड़े के जरिए ठगी करने वाले नेटवर्क का बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस ने जांच में पाया कि फ्रॉड के जरिए ठगे गए पैसों को मंगवाने के लिए म्यूल बैंक खातों का सहारा लिया गया। इन खातों को खोलने में सीधे-सीधे तीन अलग-अलग बैंकों के अधिकारियों की भूमिका सामने आई। चौंकाने वाली बात यह है कि इन बैंक अधिकारियों ने ब्रोकरों से रुपए लेकर बिना नियमों का पालन किए खाते खुलवाए और धोखाधड़ी करने वालों की मदद की।

जांच के दौरान टिकरापारा, सिविल लाइन और गुढ़ियारी थानों में अलग-अलग ठगी की शिकायत दर्ज हुई थी। पुलिस ने जब खातों का पता लगाया तो पाया कि इन्हीं म्यूल खातों के जरिए लाखों रुपए ट्रांसफर कर धोखाधड़ी को अंजाम दिया गया। इस खुलासे के बाद पुलिस ने खाता खुलवाने और संचालन करने वालों पर कड़ा एक्शन लिया।

पुलिस ने तीन बैंक अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। इनमें एक्सिस बैंक रायपुर के अधिकारी अभिनव सिंह, इंडियन ओवरसीज बैंक दुर्ग के अधिकारी प्रवीण वर्मा और रत्नाकर बैंक रायपुर के अधिकारी प्रीतेश शुक्ला शामिल हैं। तीनों ने केवाईसी नॉर्म्स और बैंकिंग नियमों का पालन नहीं किया था। इसके बजाय ब्रोकरों से मोटी रकम लेकर संदिग्ध लोगों के नाम पर खाते खोले गए।

मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने सभी आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की। पूछताछ में सामने आया कि ब्रोकरों और बैंक अधिकारियों के बीच सीधी डील होती थी। बदले में ब्रोकर संदिग्ध व्यक्तियों के दस्तावेज लेकर आते और बैंक अधिकारी बिना ज्यादा जांच-पड़ताल किए खातों को चालू कर देते थे। इसके जरिए ठगों को आसानी से पैसों की हेरफेर करने का रास्ता मिल गया।

गिरफ्तार बैंक अधिकारियों के नाम और पते इस प्रकार हैं:

  1. अभिनव सिंह, पिता नरेश सिंह (32 वर्ष), निवासी झंडा चौक, सेक्टर-02, शिवानंद नगर, खमतराई, रायपुर – पदस्थापना एक्सिस बैंक।

  2. प्रवीण वर्मा, पिता लक्ष्मण प्रसाद वर्मा (37 वर्ष), निवासी रोहिणीपुरम फेस-1, बोरसी, पदमनाभपुर, दुर्ग – पदस्थापना इंडियन ओवरसीज बैंक।

  3. प्रीतेश शुक्ला, पिता लालजी शुक्ला (32 वर्ष), निवासी शिवानंद नगर, गुढ़ियारी, रायपुर – पदस्थापना रत्नाकर बैंक लिमिटेड।

पुलिस का कहना है कि म्यूल अकाउंट्स के जरिए ठगी का नेटवर्क काफी फैला हुआ है और इसमें कई राज्यों तक कनेक्शन होने की संभावना है। जांच टीम अब यह पता लगाने में जुटी है कि इन खातों के जरिए कितनी रकम ट्रांसफर हुई और इसके पीछे और कौन लोग शामिल हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों से बैंकिंग सिस्टम पर आम जनता का भरोसा कमजोर होता है। जब खुद बैंक अधिकारी ही नियमों को ताक पर रखकर गैरकानूनी काम में शामिल हों तो ग्राहकों की सुरक्षा पर सवाल उठना स्वाभाविक है। यही कारण है कि इस मामले को लेकर पुलिस और जांच एजेंसियां सतर्क हो गई हैं।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आगे और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। जिन ब्रोकरों ने बैंक अधिकारियों से संपर्क कर खाते खुलवाए, उनकी भी पहचान की जा रही है। इसके अलावा यह भी जांच की जा रही है कि इन ब्रोकरों का संबंध ठग गिरोहों से किस तरह है।

फिलहाल तीनों गिरफ्तार बैंक अधिकारियों को जेल भेज दिया गया है और आगे की कार्रवाई न्यायालय के आदेश पर होगी। इस कार्रवाई ने साफ कर दिया है कि ठगी के नेटवर्क को संचालित करने वालों को संरक्षण देने वाले लोग चाहे किसी भी पद पर हों, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


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