कोरिया जिले के सोनहत ब्लॉक के ग्रामीणों ने शुक्रवार रात राहत की सांस ली जब पिछले दो दिनों से देवगढ़ रेंज के तर्रा बसेर जंगल में डेरा डाले 12 हाथियों का दल नगर होते हुए बैकुंठपुर रेंज के सलबा कादंबरी जंगल की ओर बढ़ गया। हाथियों की मौजूदगी ने ग्रामीणों को लगातार भय और अनिश्चितता की स्थिति में रखा था।
पिछले दो दिनों से यह दल तर्रा बसेर जंगल के भीतर रुका हुआ था। शुक्रवार को दिनभर हाथी वहीं विश्राम करते रहे। शाम ढलते ही ये हाथी दामूज चौक के पास तर्रा मुख्य मार्ग पर आ पहुंचे और लंबे समय तक उसी इलाके में विचरण करते रहे। इस दौरान रास्ते से गुजरने वाले वाहन चालकों और राहगीरों को रोककर वन विभाग की टीम ने सावधानी बरतने के निर्देश दिए। विभाग की चौकसी के चलते किसी तरह की अनहोनी नहीं हुई।
ग्रामीणों का कहना है कि जब भी हाथियों का दल आसपास डेरा डालता है, तब रातें भय में गुजरती हैं। फसलों और घरों को नुकसान पहुँचने की आशंका बनी रहती है। कई बार हाथियों के झुंड गांवों तक पहुंच जाते हैं और खेतों को नुकसान पहुंचाते हैं। इस बार भी लोगों को यही डर सता रहा था। लेकिन देर रात तक राहत भरी खबर आई कि हाथी नगर जंगल होते हुए बैकुंठपुर रेंज की ओर बढ़ गए हैं।
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह दल सामान्य रूप से जंगल में ही विचरण कर रहा है और फिलहाल आसपास के गांवों के लिए खतरा नहीं है। हालांकि एहतियात के तौर पर सलबा और कादंबरी गांव के निवासियों को सतर्क रहने की हिदायत दी गई है। वन अमला लगातार इलाके में गश्त कर रहा है ताकि किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटा जा सके।
स्थानीय लोग बताते हैं कि हाथियों का यह दल अक्सर देवगढ़ और बैकुंठपुर रेंज के बीच आवाजाही करता रहता है। यह उनका पारंपरिक रास्ता है और मौसम बदलने के साथ ही वे भोजन और पानी की तलाश में अलग-अलग इलाकों का रुख करते हैं। यही वजह है कि जंगल से सटे गांवों के लोग हमेशा सतर्क रहते हैं।
ग्रामीणों का यह भी कहना है कि पिछले कुछ सालों में हाथियों की गतिविधियां बढ़ी हैं। फसलें तैयार होने के समय ये झुंड अक्सर गांवों के करीब पहुंच जाते हैं। इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। कई बार मकान और मवेशियों को भी क्षति पहुंच चुकी है। वन विभाग का कहना है कि हाथियों के इस दल पर लगातार नजर रखी जा रही है और स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है।
पुलिस और वन विभाग की टीम मिलकर लोगों को जागरूक कर रही है कि हाथियों के झुंड के पास न जाएं और किसी भी प्रकार की उकसाने वाली हरकत न करें। ग्रामीणों से अपील की गई है कि वे शोर शराबा या पटाखों का इस्तेमाल न करें, क्योंकि इससे हाथी उत्तेजित हो सकते हैं।
इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि मानव और वन्यजीव संघर्ष लगातार बढ़ रहा है। वन विभाग ने कहा है कि दीर्घकालीन समाधान के लिए ऐसे कदम उठाने होंगे जिससे हाथियों का प्राकृतिक मार्ग बाधित न हो और गांवों को भी सुरक्षित रखा जा सके। इसके लिए लोगों की सहभागिता बेहद जरूरी है।
फिलहाल सोनहत क्षेत्र के लोग संतोष कर रहे हैं कि हाथियों का झुंड आगे निकल गया है और उनके गांवों में कोई नुकसान नहीं पहुंचा। हालांकि आने वाले दिनों में यह दल किस दिशा में आगे बढ़ेगा, इस पर वन विभाग की पैनी नजर रहेगी।