बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिलासपुर समेत राज्यभर के नेशनल और स्टेट हाईवे पर लगातार हो रही मवेशियों की मौत को लेकर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति रवींद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने स्पष्ट किया कि पहले ही रोडमैप बनाने, मॉनिटरिंग करने और समस्या के स्थायी समाधान के निर्देश दिए जा चुके हैं, लेकिन शासन और प्रशासन इन निर्देशों के पालन में विफल रहे हैं।
हाईकोर्ट ने एक बार फिर मुख्य सचिव और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के प्रोजेक्ट मैनेजर को हलफनामा (शपथपत्र) प्रस्तुत करने का निर्देश जारी किया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि अब भी सुधार नहीं हुआ तो दोषी अफसरों के खिलाफ सख्त प्रशासनिक कार्रवाई के साथ उनके सेवा रिकॉर्ड में टिप्पणी दर्ज करने की नौबत आ सकती है।
लगातार हो रही हैं हादसे, 50 से अधिक मवेशियों की मौत
बीते 20 दिनों में राज्य में तीन अलग-अलग हादसों में 50 से अधिक मवेशियों की मौत हो चुकी है। हाल ही में 30 जुलाई को रायपुर-बिलासपुर नेशनल हाईवे पर एक अज्ञात भारी वाहन ने 16 से अधिक गायों को कुचल दिया, जिसमें 15 की मौत हो गई। यह घटना हाईकोर्ट के संज्ञान में लाई गई, जिससे कोर्ट की नाराजगी और गहरा गई।
पिछली घटनाएं और असफल प्रयास
पिछले वर्ष 17 जुलाई को सिलपहरी में भी तेज रफ्तार वाहन ने 9 मवेशियों को कुचल दिया था। इसके बाद से हाईकोर्ट इस मुद्दे पर लगातार सुनवाई कर रहा है। 29 सितंबर 2024 को राज्य सरकार ने मवेशियों को जियो-टैगिंग वाले बेल्ट पहनाने की योजना बताई थी। 4 अक्टूबर 2024 को कोर्ट ने रोडमैप तैयार करने और संबंधित अफसरों को जवाबदेह बनाने के निर्देश दिए थे। अप्रैल 2025 में एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) तैयार किया गया, लेकिन उस पर भी कोई ठोस अमल नहीं हो पाया।
चीफ जस्टिस की सख्त टिप्पणी
16 जुलाई 2025 को मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया। चीफ जस्टिस ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बार-बार निर्देश देने के बावजूद हादसे थम नहीं रहे। उन्होंने संकेत दिया कि अब लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ सेवा रिकॉर्ड में प्रतिकूल प्रविष्टि दर्ज करने का आदेश देना पड़ सकता है।
प्रशासन और निगम अमला सक्रिय
हाईकोर्ट की फटकार के बाद नगर निगम प्रशासन सक्रिय हुआ और 30 जुलाई की रात मवेशियों को पकड़ने का अभियान चलाया गया। इस दौरान शहर के विभिन्न हिस्सों से 110 मवेशियों को पकड़कर रहंगी स्थित गोठान में शिफ्ट किया गया। निगमायुक्त अमित कुमार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि शहर को मवेशी मुक्त बनाया जाए।
खुलें में पशु छोड़ने वालों पर होगी कार्रवाई
निगम कमिश्नर ने कहा है कि जो भी पशुपालक अपने मवेशियों को खुले में छोड़ते हैं, उनके खिलाफ छत्तीसगढ़ नगरीय निकाय अधिनियम की धारा 358(2) के तहत कार्रवाई की जाएगी। बार-बार समझाइश और जुर्माने के बाद भी सुधार नहीं होने पर ऐसे पशुपालकों पर आईपीसी की धाराओं में एफआईआर भी दर्ज की जाएगी।
पहली बार मवेशी मालिकों पर हुई कार्रवाई
मवेशियों की मौत के मामले में प्रदेश में पहली बार मालिकों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की गई है। चकरभाठा थाना क्षेत्र के कड़ार गांव में 18 मवेशियों की मौत के मामले में पुलिस ने दो पशुपालकों—कमलेश्वर वर्मा (75) और विजय वर्मा (62)—के खिलाफ बीएनएस की धारा 291 के तहत केस दर्ज कर गिरफ्तारी की है।
एसएसपी रजनेश सिंह ने बताया कि बार-बार समझाइश के बाद भी लोग अपने मवेशियों को सड़कों पर छोड़ देते हैं, जिससे सड़क हादसे होते हैं। अब पुलिस की ओर से ऐसे मामलों में सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसे हादसों पर अंकुश लगाया जा सके।
यह मामला न केवल सड़क सुरक्षा से जुड़ा है, बल्कि जनहित, पशु कल्याण और प्रशासनिक जवाबदेही से भी सीधे संबंध रखता है। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद उम्मीद की जा रही है कि अब शासन-प्रशासन इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाएगा।