राजधानी रायपुर में एक पुलिसकर्मी का नशे की हालत में सड़क पर लेटे हुए वीडियो सामने आने के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया है। कांग्रेस ने इस वीडियो को साझा करते हुए प्रदेश सरकार पर तीखा प्रहार किया है। वीडियो में स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि वर्दीधारी पुलिसकर्मी नशे में इतना धुत है कि सड़क पर गिर पड़ा है। इस पर कांग्रेस ने तंज कसते हुए लिखा, “सरकार के पियो और मरो विजन को आगे बढ़ाते छत्तीसगढ़ शासन के कर्मठ कर्मचारी।”
कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय ठाकुर ने इस मामले पर कहा कि जब प्रदेश की पुलिस ही शराब के नशे में मदमस्त होगी तो जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन निभाएगा। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा शासन में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। सरकार की प्राथमिकता जनता की सुरक्षा नहीं बल्कि शराब की बिक्री बढ़ाना है।
धनंजय ठाकुर ने आरोप लगाया कि शराब हर वर्ग के लिए घातक है लेकिन सरकार इसके दुष्परिणामों को अनदेखा कर रही है। अगर यही हाल रहा तो अपराधियों का मनोबल और बढ़ेगा तथा आम नागरिकों में भय का माहौल पनपेगा।
इस पूरे घटनाक्रम पर आम नागरिकों की भी तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। रायपुर निवासी मिलाप साहू ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि यही काम कोई आम व्यक्ति करता तो उसे तुरंत पकड़कर कोर्ट में पेश कर दिया जाता। लेकिन जब वर्दीधारी ऐसी हरकत करते हैं तो उन पर कार्रवाई टालमटोल की जाती है। यही कारण है कि लोगों का भरोसा पुलिस पर से उठता जा रहा है।
वीडियो सामने आने के बाद प्रदेशभर में चर्चा तेज हो गई है। कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि यदि पुलिसकर्मी खुद ही नशे में धुत होकर सड़क पर लेट जाएंगे तो अपराध रोकने और नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन उठाएगा। यह सवाल सीधे-सीधे सरकार और पुलिस प्रशासन पर खड़े हो रहे हैं।
पुलिस विभाग ने इस मामले में जांच शुरू करने की बात कही है। विभाग का कहना है कि वायरल वीडियो की सत्यता की जांच की जा रही है और इसमें दिख रहे व्यक्ति की पहचान की पुष्टि के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो संबंधित पुलिसकर्मी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासनिक स्तर पर भी मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। सूत्रों के अनुसार संबंधित पुलिसकर्मी के खिलाफ निलंबन तक की कार्रवाई हो सकती है। वहीं विपक्ष लगातार सरकार पर यह आरोप लगा रहा है कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति बेहद खराब है और शासन इस पर ध्यान देने के बजाय शराब नीति से मुनाफा कमाने में जुटा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला केवल एक पुलिसकर्मी के नशे से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि यह प्रदेश की शराब नीति और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी सवाल खड़े करता है। यदि वर्दीधारी पुलिसकर्मी ही नियमों को ताक पर रखकर ऐसी हरकत करेंगे तो आम नागरिकों से अनुशासन की अपेक्षा कैसे की जा सकती है।
यह घटना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है क्योंकि इससे प्रदेश की छवि पर नकारात्मक असर पड़ता है। आने वाले समय में इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक गर्माहट और भी बढ़ने की संभावना है। विपक्ष इसे जनता के बीच भुनाने में पीछे नहीं हटेगा। अब देखना होगा कि पुलिस विभाग की जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है और सरकार इस मामले पर क्या ठोस कदम उठाती है।