छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स), बिलासपुर ने दंत चिकित्सा और जबड़े की सर्जरी के क्षेत्र में पूरे प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में अग्रणी स्थान हासिल कर लिया है। सिम्स के दंत विभाग ने पिछले दो वर्षों में जटिल ऑपरेशनों और सर्जिकल मामलों में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिससे प्रदेश ही नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्यों के मरीज भी यहां इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।
संस्थान ने अब तक 598 मेजर और 3227 माइनर सर्जरी कर प्रदेश में एक नया रिकॉर्ड कायम किया है। इन सर्जरी में टीएमजे प्रत्यारोपण जैसी महंगी और जटिल प्रक्रिया भी शामिल है, जिसे आयुष्मान भारत योजना के तहत निःशुल्क किया जा रहा है। निजी अस्पतालों में जिस सर्जरी पर लाखों रुपये खर्च होते हैं, वही सर्जरी सिम्स में गरीब और जरूरतमंद मरीजों को मुफ्त मिल रही है।
इस उपलब्धि के पीछे दंत विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप प्रकाश और उनकी टीम का अहम योगदान है। इस टीम में डॉ. जंडेल सिंह ठाकुर, डॉ. हेमलता राजमणि, डॉ. केतकी कीनीकर, डॉ. प्रकाश खरे, डॉ. सोनल पटेल, लैब अटेंडेंट उमेश साहू, वार्ड बॉय ओंकारनाथ, और निश्चेतना विभाग की डॉ. मधुमिता मूर्ति, डॉ. भावना रायजादा, डॉ. मिल्टन जैसे विशेषज्ञ शामिल हैं, जिन्होंने दिन-रात मरीजों के बेहतर इलाज के लिए काम किया।
जटिल मामलों में सफलता की कहानी
सिम्स के दंत विभाग ने ऐसे अनेक मामलों का सफल इलाज किया है, जो अन्यत्र जटिल माने जाते हैं। अब तक 550 सड़क दुर्घटना से घायल मरीज, 26 मुख कैंसर पीड़ित, 2 भालू के हमले से घायल, 10 चेहरे की विषमता वाले और 9 काला फंगस से संक्रमित मरीजों का सफल उपचार किया जा चुका है।
विशेषज्ञों के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं में अक्सर मरीजों के चेहरे की हड्डियों में जटिल फ्रैक्चर होते हैं। इनमें निचले जबड़े का फ्रैक्चर, ऊपरी जबड़े की हड्डी का टूटना, नाक और माथे की हड्डियों का क्षतिग्रस्त होना आम है। कई बार सभी हड्डियां एक साथ टूट जाती हैं, जिसे पैनाफेशियल फ्रैक्चर कहा जाता है।
ऐसे ही एक जटिल मामले में, धीर साय नामक व्यक्ति का चेहरा सड़क हादसे में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। सिम्स की टीम ने उनके चेहरे की सभी हड्डियों को जोड़ने का कार्य सफलतापूर्वक किया, जिसकी प्रशंसा स्वयं मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भी की थी।
मुख कैंसर और कृत्रिम जबड़े का इलाज
सिम्स ने 40 से अधिक मुख कैंसर और जबड़े के ट्यूमर से ग्रसित मरीजों का सफल इलाज किया है। इनमें कई मामलों में ऑपरेशन के बाद विकृत हुए चेहरे को पुनः सामान्य बनाने के लिए छाती से मांस निकालकर प्रत्यारोपण भी किया गया। यह जटिल प्रक्रिया भी आयुष्मान कार्ड के जरिए निःशुल्क की गई।
इसके अलावा, 30 मरीजों के टीएमजे जोड़ को काटकर नया कृत्रिम जोड़ (आर्टिफिशियल टीएमजे जॉइंट) लगाया गया है। यह प्रक्रिया अत्यंत महंगी और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण होती है, लेकिन सिम्स के डॉक्टरों ने इसे सफलता के साथ संपन्न किया।
विकृत चेहरे को मिला नया जीवन
कुछ मरीजों का चेहरा जन्मजात या अन्य कारणों से टेढ़ा होता है, जिससे उनके आत्मविश्वास पर असर पड़ता है। सिम्स ने ऐसे मरीजों के ऊपरी और निचले जबड़े को काटकर सही आकार में लाया, जिससे चेहरा सुंदर बना और मरीजों का आत्मबल भी बढ़ा।
बढ़ रही है सिम्स की पहचान
सिम्स की इन उपलब्धियों के चलते छत्तीसगढ़ के अलावा पड़ोसी राज्यों से भी मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। संस्थान का दावा है कि अब तक 550 से अधिक फ्रैक्चर मामलों में जबड़े की प्लेटिंग और सर्जरी कर मरीजों को नया जीवन दिया गया है। यह सभी सर्जरी अत्याधुनिक तकनीक और अनुभवी चिकित्सकों की देखरेख में हुई हैं।
सिम्स का यह योगदान प्रदेश में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और विश्वास को नई ऊंचाइयों तक ले जा रहा है।