महादेव सट्टा एप मामले में कोर्ट ने रखा फैसला सुरक्षित


 

रायपुर: ऑनलाइन गेमिंग को लेकर देश में सख्ती बढ़ने के बाद अवैध रूप से चल रहे गैंबलिंग एप्स की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इन्हीं में सबसे चर्चित महादेव सट्टा एप के संचालक सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल के खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट (NBW) को रद्द करने की मांग पर शुक्रवार को विशेष न्यायालय में सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला 3 नवंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया है।

सुनवाई के दौरान दोनों आरोपियों के वकील ने कोर्ट से आग्रह किया कि उनके खिलाफ जारी वारंट को रद्द कर तीन महीने का समय दिया जाए ताकि इस अवधि में वे स्वयं अदालत में पेश हो सकें। बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल अदालत से भाग नहीं रहे, बल्कि उन्हें अपने बचाव की तैयारी के लिए मोहलत की आवश्यकता है।

ईडी की आपत्ति

वहीं, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से मामले में मौजूद वकील सौरभ पांडे ने बचाव पक्ष के इस तर्क का विरोध किया। उन्होंने अदालत को बताया कि सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल को ईडी ने कई बार समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन दोनों कभी भी उपस्थित नहीं हुए। इस वजह से अदालत को गैर-जमानती वारंट जारी करना पड़ा था।

ईडी ने अदालत को यह भी बताया कि आरोपियों ने पहले छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर वारंट निरस्त करने की मांग की थी, लेकिन वहां से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली। हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद रवि उप्पल ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, जहां उनकी याचिका अभी लंबित है।




कंडिशनल और अनकंडिशनल ऑफर पर बहस

सुनवाई के दौरान ईडी ने स्पष्ट किया कि पहले ही उच्च न्यायालय में एजेंसी की ओर से यह पेशकश की गई थी कि यदि आरोपी बिना शर्त अदालत में आत्मसमर्पण करने का आश्वासन देते हैं, तो वारंट निरस्त करने पर विचार किया जा सकता है। लेकिन उस समय आरोपियों के वकील ने यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि ईडी उन्हें गिरफ्तार करने के लिए जाल बिछा रही है।

आज की सुनवाई में भी आरोपियों के वकील ने शर्त रखी कि वारंट रद्द होने के बाद ही उनके मुवक्किल तीन महीने के भीतर पेश होंगे। इस पर ईडी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि यह पेशकश फिर से शर्तों के साथ रखी गई है, जबकि एजेंसी की ओर से केवल बिना शर्त आत्मसमर्पण की स्थिति में राहत देने पर विचार संभव है।

अदालत ने सुरक्षित रखा फैसला

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद विशेष न्यायालय ने कहा कि मामले में विस्तृत विचार के बाद ही आदेश पारित किया जाएगा। लिहाजा, अदालत ने अपना फैसला 3 नवंबर तक सुरक्षित रख लिया है।

मामला क्यों है गंभीर?

महादेव सट्टा एप देशभर में अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी का एक बड़ा नेटवर्क माना जाता है। इस एप के जरिए कथित रूप से करोड़ों रुपये का लेन-देन किया गया है। प्रवर्तन निदेशालय पहले ही इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है और कई राज्यों में छापेमारी भी की जा चुकी है। एजेंसी का दावा है कि इस एप के जरिए हवाला नेटवर्क और फर्जी खातों का इस्तेमाल कर भारी पैमाने पर धन शोधन किया गया है।

ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि इस नेटवर्क के तार विदेशों तक फैले हुए हैं। वहीं, देश में भी बड़ी संख्या में एजेंट और ऑपरेटरों के जरिए इसका संचालन किया जाता रहा है। यही वजह है कि एजेंसी इस मामले को बेहद गंभीर मानते हुए कठोर कार्रवाई कर रही है।

आगे की स्थिति

अब सबकी निगाहें 3 नवंबर पर टिकी हैं, जब कोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुनाएगा। यदि अदालत गैर-जमानती वारंट को रद्द नहीं करती है, तो सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल की कानूनी मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। वहीं, अगर कोर्ट उन्हें समय देने का आदेश देता है तो आरोपियों को थोड़ी राहत मिल सकती है। हालांकि ईडी इस मामले में अब भी कठोर रुख अपनाए हुए है और एजेंसी चाहती है कि आरोपी बिना शर्त अदालत के सामने पेश हों।

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