छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन (DMF) घोटाला मामले में जेल में बंद रहे सूर्यकांत तिवारी को गुरुवार शाम को रिहा कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद वह करीब तीन साल बाद जेल से बाहर आए। बाहर निकलते ही उन्होंने जेल के मुख्य द्वार पर सिर झुकाया, जैसे किसी को नमन कर रहे हों। सफेद शर्ट-पैंट और जैकेट में हाथ में बैग लिए वे मुस्कराते हुए नजर आए। बाहर पहले से इंतजार कर रहे उनके दोस्त और परिजनों से मिलकर वे कार में बैठकर घर की ओर रवाना हो गए।
सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत
सूर्यकांत तिवारी को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच से अंतरिम जमानत मिली, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉय माल्या बागची शामिल थे। अदालत ने साफ किया कि जांच में सहयोग देना और तय शर्तों का पालन करना उनकी रिहाई की शर्त है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए उन्हें जमानत दी जा सकती है, हालांकि अंतिम सुनवाई में सभी तथ्यों पर फिर से विचार किया जाएगा।
दो मामलों की एक साथ सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में दो मामलों की एक साथ सुनवाई चल रही थी। पहला DMF घोटाले में अंतरिम जमानत का, और दूसरा कोयला लेवी घोटाले से संबंधित, जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार ने उनकी पहले से मिली जमानत को रद्द करने की मांग की थी। कोर्ट ने सरकार की याचिका को फिलहाल खारिज कर दिया है, लेकिन यह स्पष्ट किया है कि अगर जमानत की शर्तों का उल्लंघन होता है तो अभियोजन पक्ष फिर से याचिका दाखिल कर सकता है।
DMF घोटाले की परतें
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से सामने आए 575 करोड़ रुपए से अधिक के DMF घोटाले में ईडी और EOW की जांच से यह खुलासा हुआ कि जिला खनिज निधि (DMF) के फंड के जरिए बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया। टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताएं कर कुछ ठेकेदारों को अवैध लाभ पहुंचाया गया।
ईडी की जांच में सामने आया कि ठेकेदारों ने सरकारी अधिकारियों और नेताओं को 25% से 40% तक का कमीशन दिया। फर्जी कंपनियों और डमी फर्मों के माध्यम से यह लेन-देन हुआ। एक तलाशी अभियान में 76.50 लाख नकद, 8 बैंक खातों में जमा 35 लाख रुपए, फर्जी दस्तावेज और डिजिटल उपकरण जब्त किए गए।
किसे कितना मिला कमीशन
ACB की रिपोर्ट के अनुसार, फंड के घोटाले में कलेक्टर को 40%, CEO को 5%, SDO को 3% और सब-इंजीनियर को 2% कमीशन मिला। DMF के फंड खर्च के नियमों में बदलाव कर, अधिक कमीशन वाले प्रोजेक्ट्स को प्राथमिकता दी गई। नियमों में मटेरियल सप्लाई, ट्रेनिंग, कृषि उपकरण, खेल सामग्री और मेडिकल उपकरण जैसी श्रेणियों को शामिल किया गया ताकि असली विकास कार्यों को दरकिनार किया जा सके।
बड़ी संपत्ति की कुर्की
ED ने इस मामले में अब तक 23.79 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की है। यह संपत्तियां निलंबित IAS अधिकारी रानू साहू, माया वॉरियर, मनोज कुमार द्विवेदी समेत 10 अन्य आरोपियों से जुड़ी हैं। इसके अलावा, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में छापेमारी कर 1.11 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की गई थी।
कौन-कौन है आरोपी
ईडी की चार्जशीट में संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी, मनोज द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल और शेखर जैसे नाम सामने आए हैं, जो टेंडर प्रक्रिया में शामिल थे। इन सभी ने मिलकर कथित रूप से फंड में गड़बड़ी कर भारी मुनाफा कमाया।
जांच जारी, सुप्रीम कोर्ट की निगरानी
DMF घोटाले में ईडी और EOW दोनों ही अपनी-अपनी जांच में जुटे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि यदि सूर्यकांत तिवारी जमानत की शर्तों का उल्लंघन करते हैं या जांच में कोई गड़बड़ी सामने आती है, तो उनकी रिहाई रद्द की जा सकती है।