भिलाई: पत्रकार ने निभाया इंसानियत का फर्ज़, शिक्षक और उसके साथी ने किया हमला!बेजुबान की रक्षा करना पड़ा भारी, पत्रकार के साथ गाली-गलौज और मारपीट

भिलाई: पत्रकार ने निभाया इंसानियत का फर्ज़, शिक्षक और उसके साथी ने किया हमला!बेजुबान की रक्षा करना पड़ा भारी, पत्रकार के साथ गाली-गलौज और मारपीट

भिलाई। लोकतंत्र का चौथा स्तंभ होने के नाते पत्रकार हमेशा समाज की आवाज़ बनते हैं। लेकिन जब कोई पत्रकार न सिर्फ लोगों बल्कि बेजुबान जानवरों के हक़ की बात करे और उसे ही हिंसा का शिकार बना  जाए, तो यह समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है। छत्तीसगढ़ के एजुकेशन हब भिलाई में कुछ ऐसा ही हुआ, जब भिलाई TIMES के पत्रकार लाभेश घोष को एक बेजुबान जानवर की रक्षा करने की कीमत अपनी जान पर खेलकर चुकानी पड़ी। एक शिक्षक, जिसने समाज को नैतिकता और करुणा का पाठ पढ़ाना चाहिए, उसने अपने साथी के साथ मिलकर पत्रकार पर हमला कर दिया।

क्या है पूरा मामला?

घटना गुरुवार की है, जब स्मृति नगर चौकी क्षेत्र में रहने वाले पत्रकार लाभेश घोष ने एक बेजुबान जानवर पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाई। उन्होंने सचिन शुक्ला नामक व्यक्ति को पशु को मारने से रोका, जो कि जम्मू-कश्मीर के एक प्रतिष्ठित स्कूल में प्रिंसिपल हैं। इस बात पर तिलमिलाए सचिन शुक्ला ने न सिर्फ लाभेश से गाली-गलौज की, बल्कि अपने पड़ोसी और मित्र अवनीश कुमार के साथ मिलकर पत्रकार पर हमला बोल दिया।

"गालियां दीं, मुक्के मारे, मोबाइल छीनने की कोशिश की"

पीड़ित पत्रकार लाभेश के अनुसार, शिक्षक सचिन शुक्ला और उसके साथी ने मिलकर उनके साथ गंदी-गंदी गालियां दीं, कई बार मुक्के मारे, और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। इतना ही नहीं, आरोपियों ने उनका मोबाइल छीनने की भी कोशिश की ताकि इस घटना का कोई सबूत न रह जाए।

पत्रकारों में आक्रोश, पुलिस ने दर्ज किया मामला इस पूरे मामले में स्मृति नगर चौकी पुलिस ने BNS की धारा 296, 115(2) और 3(5) के तहत जीरो में मामला दर्ज किया है। हालांकि, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग की है।

एक शिक्षक का ऐसा व्यवहार—क्या यह समाज के लिए खतरे की घंटी नहीं?

जिस शिक्षक को बच्चों को संवेदनशीता और करुणा सिखानी चाहिए, वही जब हिंसा और क्रूरता का प्रदर्शन करता है, तो यह पूरे शिक्षा तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े करता है। समाज का नैतिक पतन तब होता है, जब पढ़े-लिखे लोग ही अराजकता और हिंसा फैलाने लगें।

क्या कहता है कानून?

भारत में पशु क्रूरता के खिलाफ कड़े कानून हैं, जिनका पालन करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है।

1. पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 – किसी भी पशु के प्रति हिंसा गैरकानूनी है और इसके लिए दंड का प्रावधान है।

2. BNS 325 – किसी भी पशु को गंभीर चोट पहुंचाना दंडनीय अपराध है।

3. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51(G) – यह नागरिकों को अधिकार देता है कि वे पशुओं की सुरक्षा करें और उन्हें भोजन कराएं।

क्या हम ऐसे समाज में रहना चाहते हैं?

अगर आज हम इस हिंसा और अन्याय के खिलाफ चुप रह गए, तो कल यही अत्याचार हमारे और हमारे बच्चों पर भी हो सकता है। यह मामला सिर्फ एक पत्रकार पर हमले का नहीं, बल्कि पूरे समाज की संवेदनहीनता और नैतिक पतन का संकेत है। हमें तय करना होगा कि हम अहिंसा और करुणा का समर्थन करेंगे या हिंसा और अन्याय को सहन करेंगे?

न्याय की मांग और समाज को संदेश पत्रकार लाभेश घोष ने प्रशासन और कानून से सचिन शुक्ला और अवनीश कुमार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की है।

> "यह केवल मेरा नहीं, बल्कि हर उस इंसान का संघर्ष है जो अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाता है। अगर एक शिक्षक ही हिंसा पर उतर आए, तो यह समाज और आने वाली पीढ़ी के लिए खतरनाक संकेत है। मैं सभी जागरूक नागरिकों से अपील करता हूँ कि इस अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करें!" – लाभेश घोष

आपकी राय क्या है?

क्या एक पत्रकार को इंसानियत का फर्ज़ निभाने की इतनी बड़ी सज़ा मिलनी चाहिए? क्या ऐसे शिक्षकों को स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने की अनुमति होनी चाहिए? अपने विचार हमें कमेंट में बताएं और इस खबर को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि न्याय मिल सके!

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