कहीं कड़ा मुकाबला, तो कहीं बिना संघर्ष ही जीत! गांवों में उपसरपंच चुनाव का जश्न, रातभर गूंजे ढोल-नगाड़े, पुलिस रही अलर्ट!

कहीं कड़ा मुकाबला, तो कहीं बिना संघर्ष ही जीत! गांवों में उपसरपंच चुनाव का जश्न, रातभर गूंजे ढोल-नगाड़े, पुलिस रही अलर्ट!

दुर्ग जिले में उपसरपंचों का चुनाव: कहीं टक्कर तो कहीं निर्विरोध जीत, गांवों में मना जश्नदु दुर्ग र्जिले में 8 मार्च को सभी ग्राम पंचायतों में उपसरपंच चुनाव संपन्न हुए। जहां कुछ पंचायतों में कड़ा मुकाबला देखने को मिला, वहीं कुछ गांवों में प्रत्याशी निर्विरोध चुने गए। चुनाव परिणाम आते ही गांवों में जश्न का माहौल बन गया, समर्थकों ने ढोल-नगाड़ों के साथ जीत का जश्न मनाया।

ग्राम पंचायत जेवरा में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला। यहां पूर्व सरपंच प्रशांत गौतम और संतोष साहू के बीच चुनाव हुआ। प्रशांत गौतम, जिन पर सरपंच ने अपने भतीजे की दुकान जलवाने का आरोप लगाया था, को 14 मत मिले, जबकि संतोष साहू को सिर्फ 7 वोट मिले। जीत के बाद प्रशांत गौतम ने इसे जनता की जीत बताया और विकास कार्यों को प्राथमिकता देने का वादा किया।





वहीं, बागडूमर और तिरगा ग्राम पंचायतों में उपसरपंच निर्विरोध चुने गए। बागडूमर में रामावतार नेताम और तिरगा में सुखितराम ढीमर को सर्वसम्मति से चुना गया। ग्रामीणों और पंचों ने फूल-मालाओं और गुलाल से उनका स्वागत किया। तिरगा के लोगों ने बताया कि सुखितराम हमेशा दुख की घड़ी में गांव के साथ खड़े रहते हैं, यही वजह है कि सभी ने उन्हें समर्थन दिया।

चुनाव नतीजों के बाद गांवों में रातभर जश्न का माहौल बना रहा। ढोल-नगाड़ों की धुन पर समर्थकों ने जमकर नाच-गाना किया, मिठाइयां बांटी गईं और पटाखे फोड़े गए। कई गांवों में लोगों ने विजयी उपसरपंचों के सम्मान में रैलियां भी निकालीं, जिससे माहौल और भी उत्साहपूर्ण हो गया।

हालांकि, किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए पुलिस प्रशासन पूरी रात सतर्क रहा। संवेदनशील गांवों में सुरक्षा बढ़ाई गई, ताकि जश्न के दौरान कोई विवाद न हो। कुल मिलाकर, उपसरपंच चुनाव के नतीजों ने दुर्ग जिले की पंचायत राजनीति में नए समीकरण बना दिए हैं, और ग्रामीण विकास की नई उम्मीदें जगा दी हैं।

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