फास्टैग फेल! टोल पर फिर से लंबी कतारें, कैश पेमेंट बना वजह
रायपुर। जब फास्टैग की शुरुआत हुई थी, तो कहा गया था कि अब टोल प्लाजा पर वाहनों की कतारें नहीं लगेंगी। कुछ ही सेकंड में गाड़ियां टोल पार कर जाएंगी। लेकिन अब हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है। फास्टैग सिस्टम में खामियों के कारण टोल नाकों पर एक बार फिर पुराने दिनों जैसी लंबी लाइनें लगने लगी हैं।
मंदिर हसौद टोल प्लाजा पर दो घंटे का नजारा
मंगलवार को ओडिशा हाईवे पर स्थित मंदिर हसौद टोल प्लाजा पर दोपहर 12:45 से 2:55 बजे तक हमने जो देखा, वह चौंकाने वाला था। इस दौरान करीब 1,200 वाहन टोल पार कर चुके थे, लेकिन इनमें से 60 से ज्यादा वाहनों में फास्टैग की समस्या पाई गई। किसी का बैलेंस खत्म था, तो कोई ब्लैकलिस्टेड था। नतीजा यह हुआ कि चालकों को नकद भुगतान करना पड़ा, जिससे बाकी गाड़ियों की लंबी कतारें लग गईं।
फास्टैग है, लेकिन बैलेंस नहीं!
टोल कर्मचारियों ने बताया कि कई ट्रकों पर फास्टैग तो लगे हैं, लेकिन जब स्कैन किया जाता है, तो बैलेंस शून्य मिलता है। ऐसे में वाहन चालक तुरंत अपने मालिक को फोन करके फास्टैग रिचार्ज करवाते हैं, जिसमें कम से कम 10 मिनट लगते हैं। इस दौरान पीछे खड़ी गाड़ियां इंतजार करने को मजबूर हो जाती हैं, जिससे जाम की स्थिति बन जाती है।
दोगुना टोल चुकाना पड़ रहा, फिर भी बिना फास्टैग वाहन!
राष्ट्रीय राजमार्गों पर नियम है कि अगर किसी वाहन में फास्टैग नहीं है, तो उसे दोगुना टोल देना पड़ता है। इसके बावजूद मंदिर हसौद टोल प्लाजा पर हर दिन सैकड़ों वाहन बिना फास्टैग के पहुंच रहे हैं। रायपुर और आरंग के बीच इस टोल से हर दिन 30 से 32 हजार वाहन गुजरते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में फास्टैग की समस्या सामने आ रही है।
केवाईसी न कराने की भारी भूल
कई वाहन चालकों को इस बात की जानकारी ही नहीं है कि एचडीएफसी, एसबीआई और बजाज कंपनी के फास्टैग बिना केवाईसी के ब्लैकलिस्ट हो चुके हैं। केवाईसी अपडेट न होने की वजह से टैग काम नहीं कर रहे, और वाहन चालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
समाधान क्या है?
वाहन चालकों को समय पर फास्टैग रिचार्ज और केवाईसी अपडेट करानी होगी।
टोल प्रबंधन को रियल-टाइम बैलेंस अपडेट और सुचारू स्कैनिंग सिस्टम विकसित करना होगा।
जागरूकता अभियान चलाकर चालकों को फास्टैग से जुड़ी जरूरी जानकारियां देनी होंगी।
जब तक ये समस्याएं हल नहीं होतीं, टोल नाकों पर वाहनों की लंबी कतारें खत्म होने की उम्मीद कम ही नजर आती है!
