भिलाई, छत्तीसगढ़।
एक दशक पुराना चोरी का मामला आखिरकार सुलझ गया है, जब पुलिस ने 10 साल बाद एक ऐसे आरोपी को गिरफ्तार किया है, जिस पर 5,000 किलो वजनी पांच विशाल नट चुराने का आरोप था। इन नट्स की कुल कीमत लगभग 65 लाख रुपये आंकी गई थी। चौंकाने वाली बात यह है कि ये नट्स भिलाई स्टील प्लांट (BSP) जैसे उच्च-सुरक्षा वाले क्षेत्र से चोरी किए गए थे।
क्या है पूरा मामला?
यह घटना वर्ष 2014 की है जब भिलाई स्टील प्लांट में उपयोग के लिए भारी-भरकम मशीनों के लिए विशेष नट्स मंगवाए गए थे। ये नट्स बेहद विशालकाय और भारी थे, जिनमें से हर एक का वजन लगभग 1000 किलो से ज्यादा था। इनका इस्तेमाल प्लांट के क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे हॉट स्ट्रिप मिल और ब्लास्ट फर्नेस के संयोजन में किया जाना था।
प्लांट के गोदाम में इन्हें स्टोर किया गया था। कुछ ही दिनों बाद पता चला कि पांच में से सभी नट्स गायब हैं। उस समय यह मामला चर्चा में तो आया था, लेकिन पुलिस और प्लांट के सुरक्षा अधिकारियों की तमाम कोशिशों के बावजूद आरोपियों का सुराग नहीं लग पाया।
कैसे हुई चोरी?
जांच में सामने आया कि यह चोरी बेहद योजनाबद्ध तरीके से की गई थी। आरोपी ने स्टील प्लांट के एक संविदा कर्मी की मदद से पहले जानकारी जुटाई। फिर एक बड़े ट्रक और क्रेन की व्यवस्था कर ली गई। रात के समय गार्डों की शिफ्ट बदलने के दौरान, नकली एंट्री पास और फर्जी दस्तावेजों के सहारे ट्रक प्लांट के अंदर गया और भारी नट्स को लोड कर बाहर निकल गया।
शुरुआती जांच में यह माना गया था कि संभवतः यह कार्य "इनसाइड हेल्प" यानी प्लांट के किसी अंदरूनी व्यक्ति की मदद से ही संभव हुआ है। हालांकि, पर्याप्त सबूतों के अभाव में पुलिस किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच सकी थी।
अब कैसे पकड़ा गया आरोपी?
दुर्ग पुलिस की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने हाल ही में एक पुराने केस की फाइल दोबारा खोली और आधुनिक तकनीकों के साथ जांच को आगे बढ़ाया। इसी क्रम में पुलिस को एक संदिग्ध ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर के बारे में जानकारी मिली जो उस वक्त ट्रक और क्रेन की सप्लाई करता था। उस व्यक्ति की कॉल डिटेल्स और बैंकिंग ट्रांजेक्शन्स की जांच की गई, जिससे एक नाम सामने आया – राकेश साहू (बदला हुआ नाम), जो वर्तमान में महाराष्ट्र के नागपुर में गुपचुप जिंदगी जी रहा था।
पुलिस ने नागपुर में दबिश दी और राकेश को गिरफ्तार कर लिया। प्रारंभिक पूछताछ में उसने अपराध को स्वीकार किया और बताया कि चोरी के बाद उसने नट्स को कबाड़ी बाजार में टुकड़ों में बेच दिया था।
10 साल क्यों लग गए?
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, आरोपी ने चोरी के बाद नाम और जगह दोनों बदल दिए थे। उसने मोबाइल नंबर, बैंक अकाउंट और यहां तक कि पहचान पत्र भी बदल लिए थे। इसके अलावा, वह किसी भी डिजिटल माध्यम से ट्रैक नहीं हो रहा था। अगर तकनीकी विश्लेषण और पुराने रिकॉर्ड का मिलान नहीं किया जाता, तो आरोपी का पकड़ा जाना लगभग नामुमकिन था।
भिलाई स्टील प्लांट की सुरक्षा पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर से भिलाई स्टील प्लांट जैसी प्रतिष्ठित औद्योगिक इकाई की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसे विशाल और महंगे उपकरणों की चोरी होना, वह भी बिना किसी प्रतिरोध के, सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलता है।
आगे की कार्रवाई
पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 379, 420 और 120B के तहत मामला दर्ज कर लिया है। साथ ही, उसके खिलाफ एक आर्थिक अपराध की अलग से जांच शुरू की गई है। कबाड़ बाजार में बेचे गए नट्स की बिक्री से जो पैसा मिला था, उसे ट्रैक किया जा रहा है। पुलिस को उम्मीद है कि इस गिरफ्तारी से जुड़े अन्य आरोपी भी जल्द ही पकड़े जाएंगे।