छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में बड़ा खुलासा: पूर्व मंत्री कवासी लखमा के खिलाफ चौथा पूरक चालान, 64 करोड़ की अवैध कमाई का आरोप


 

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच में एक और बड़ा मोड़ आया है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने राज्य के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के खिलाफ चौथा पूरक चालान दाखिल किया है। यह चालान सोमवार को विशेष अदालत में पेश किया गया, जिसकी रिपोर्ट करीब 1200 पन्नों में दर्ज है।

EOW की ओर से जारी जानकारी के अनुसार, कवासी लखमा पर आबकारी मंत्री रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग कर करोड़ों रुपए की अवैध कमाई करने का आरोप है। जांच में सामने आया है कि वर्ष 2019 से 2023 के बीच मंत्री पद पर रहते हुए लखमा ने घोटाले से प्राप्त राशि का निजी निवेश और खर्च में उपयोग किया।

64 करोड़ की अवैध कमाई, 18 करोड़ के निवेश के दस्तावेज बरामद

जांच एजेंसी ने दावा किया है कि कवासी लखमा के हिस्से में इस घोटाले से 64 करोड़ रुपए की अवैध आय आई। इसमें से 18 करोड़ रुपए से संबंधित निवेश और खर्च के स्पष्ट दस्तावेज एजेंसी के हाथ लगे हैं। यह राशि विभिन्न माध्यमों से निवेश और संपत्ति खरीद में उपयोग की गई थी। EOW ने यह भी बताया कि इसमें कई फर्जी कंपनियों और बिचौलियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है।

अब तक 13 गिरफ्तारियां, चार चालान दाखिल

शराब घोटाले में अब तक EOW द्वारा एक मूल और तीन पूरक चालान समेत कुल चार चार्जशीट अदालत में पेश की जा चुकी हैं। वहीं, इस मामले में 13 आरोपियों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। इनमें कई अधिकारी, व्यापारी और बिचौलिए शामिल हैं।

जांच जारी, और खुलासों की संभावना

EOW सूत्रों के अनुसार, घोटाले में शामिल कई और लोगों की भूमिका की जांच की जा रही है और आगे आने वाले दिनों में कुछ और गिरफ्तारी और खुलासे संभव हैं। एजेंसी का कहना है कि यह घोटाला केवल एक वित्तीय अपराध नहीं, बल्कि सत्ता के दुरुपयोग का गंभीर मामला है।

क्या है मामला?

यह मामला राज्य में सरकारी शराब वितरण प्रणाली से जुड़े करोड़ों रुपए के घोटाले से संबंधित है। आरोप है कि इसमें भारी मात्रा में अवैध उगाही और कमीशनखोरी का नेटवर्क था, जिसमें राजनीतिक संरक्षण की भूमिका भी सामने आई है। ED और EOW इस घोटाले की समांतर जांच कर रही हैं।

राजनीतिक हलकों में हलचल

पूर्व मंत्री पर लगे आरोपों के बाद राज्य की राजनीति में भी उबाल आ गया है। विपक्ष ने इसे सत्तारूढ़ दल की भ्रष्टाचार परिपाटी बताया है, वहीं सत्तापक्ष की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।


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