रायपुर | 21 जून 2025
21 जून को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। इस बार की थीम रही— "योग से सहयोग तक", और रायपुर ने इस संदेश को अपने अनोखे अंदाज़ में आत्मसात किया। राजधानी के विभिन्न हिस्सों में सुबह से ही योग शिविरों का आयोजन हुआ, जिसमें न सिर्फ आमजन बल्कि समाज के हर तबके, धर्म, उम्र और क्षमता के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
दिव्यांग लड़की की प्रेरणादायक पहल
रायपुर के मरीन ड्राइव पर हुए मुख्य योग कार्यक्रम में एक दृश्य सबके आकर्षण का केंद्र बन गया। 16 वर्षीय दिव्यांग बालिका श्रद्धा साहू ने अपनी बैसाखियों के सहारे योगासन कर सभी को हैरान कर दिया। श्रद्धा के दोनों पैर ठीक से काम नहीं करते, लेकिन उसके उत्साह और जज़्बे ने उसकी शारीरिक कमजोरी को पीछे छोड़ दिया।
श्रद्धा ने वृक्षासन, ताड़ासन और अनुलोम-विलोम जैसे आसनों को सहजता से किया। लोगों ने तालियों से उसका स्वागत किया। कार्यक्रम के मंच से जब श्रद्धा को सम्मानित किया गया तो उसने कहा— “योग मेरे जीवन में आत्मबल लेकर आया है। मैं चाहती हूं कि हर दिव्यांग बच्चा योग को अपनाए, इससे आत्मविश्वास और शरीर दोनों मजबूत होते हैं।”
मुस्लिम-ईसाई समाज की महिलाओं की भागीदारी
योग दिवस के इस कार्यक्रम में एक और सुंदर तस्वीर देखने को मिली, जब मुस्लिम और ईसाई समाज की दर्जनों महिलाओं ने भी योग किया। हिजाब पहने कई मुस्लिम महिलाओं ने खुले मैदान में योगासन किए। वहीं, क्रॉस पहनने वाली ईसाई महिलाएं भी कार्यक्रम में पूरे उत्साह के साथ शामिल हुईं।
फातिमा बानो, जो पेशे से शिक्षिका हैं, ने कहा— “शरीर और मन की शांति के लिए योग बहुत जरूरी है। यह किसी धर्म का हिस्सा नहीं बल्कि पूरी मानवता के लिए एक वरदान है। हम इसे धार्मिक चश्मे से नहीं देखते।”
ईसाई समुदाय की रेबेका डिसूजा ने कहा, “योग से शरीर फिट रहता है, मानसिक तनाव कम होता है। हम हर साल योग दिवस मनाते हैं और अपने चर्च समूह में भी योग सिखाते हैं।”
छात्रों और वरिष्ठ नागरिकों ने भी लिया भाग
रायपुर के स्कूल-कॉलेजों में भी विशेष योग सत्र आयोजित किए गए। विद्यार्थियों ने अपने शिक्षकों के साथ मिलकर सामूहिक योग किया। राजकुमार कॉलेज, केन्द्रीय विद्यालय, और जवाहर नवोदय विद्यालय में बच्चों ने सूर्य नमस्कार और ध्यान अभ्यास किया।
वहीं, शहर के वरिष्ठ नागरिक पार्कों और सामुदायिक भवनों में आयोजित योग सत्रों में शामिल हुए। 75 वर्षीय बद्रीप्रसाद अग्रवाल ने कहा, “मैं रोज योग करता हूं, लेकिन आज का दिन खास होता है क्योंकि जब सारा देश एक साथ योग करता है, तो ऊर्जा अलग ही होती है।”
जेल और अस्पतालों में भी हुआ योग
राज्य सरकार के निर्देश पर रायपुर केंद्रीय जेल में भी योग दिवस मनाया गया। कैदियों को प्रशिक्षित योग शिक्षकों ने आसन और प्राणायाम सिखाए। जेल अधीक्षक ने बताया कि नियमित योग से कैदियों में मानसिक तनाव कम हुआ है।
अंबेडकर अस्पताल और AIIMS रायपुर में भी योग सत्रों का आयोजन हुआ। मरीजों, परिजनों और चिकित्सकों ने मिलकर योग किया। डॉ. भावना वर्मा ने बताया कि “योग अब इलाज का एक पूरक हिस्सा बन रहा है। खासकर मानसिक रोगियों और हृदय रोगियों के लिए ये बेहद लाभकारी है।”
प्रशासनिक स्तर पर भी आयोजन
मुख्य योग आयोजन रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में हुआ, जहां मुख्यमंत्री विश्वदीप सिंह ने खुद योग किया और जनता को नियमित योग करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा— “योग भारत की धरोहर है। इसे हमें अपने जीवन में अपनाना चाहिए और इसे वैश्विक स्तर पर और मजबूत बनाना चाहिए।”
योग से एकता और स्वास्थ्य का संदेश
इस वर्ष के योग दिवस ने रायपुर में एकता, समरसता और आत्मबल का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। जहां एक ओर श्रद्धा जैसी दिव्यांग बच्ची ने हिम्मत दिखाई, वहीं मुस्लिम-ईसाई समाज की महिलाओं की भागीदारी ने यह स्पष्ट किया कि योग किसी धर्म का नहीं, बल्कि जीवन की कला है।
यह योग दिवस सिर्फ आसनों का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि समाज के सभी वर्गों को जोड़ने वाला एक अद्भुत आयोजन बन गया। रायपुर ने यह दिखा दिया कि योग से न सिर्फ स्वास्थ्य सुधरता है, बल्कि समाज में सहयोग और समरसता की भावना भी पनपती है।
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