रायपुर, जून 2025 – छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में NDPS एक्ट के तहत सुनाए गए एक ऐतिहासिक फैसले में पहली बार दो महिला आरोपियों को 10-10 साल की कठोर सजा सुनाई गई। NDPS कोर्ट ने माना कि प्रिया स्वर्णकार और नेहा भगत न केवल नशे की आदी थीं, बल्कि वे एक संगठित ड्रग सिंडिकेट का सक्रिय हिस्सा थीं, जो रायपुर से लेकर मुंबई और गोवा तक फैला हुआ था।
यह केस ना सिर्फ कानून की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह चेतावनी भी है कि कैसे आधुनिक सोशल लाइफस्टाइल और "कूल" दिखने की चाह युवा लड़कियों को अपराध के दलदल में धकेल सकती है।
कैसे हुआ खुलासा?
25 दिसंबर 2022 की रात, रायपुर के पंडरी क्षेत्र में स्थित अम्बुजा मॉल के पास एक विशेष पुलिस टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर छापा मारा। रेड के दौरान पांच लोगों को पकड़ा गया—प्रिया स्वर्णकार, नेहा भगत, प्रखर मारवा, मोहम्मद आवेश और अभय मिर्चे। इन सभी के पास से कुल 7.1 ग्राम से अधिक मेथामफेटामाइन (MD) बरामद की गई।
मौके पर पहुंची फॉरेंसिक टीम ने पदार्थ की पुष्टि की और इलेक्ट्रॉनिक तराजू से मापकर सैंपल लिया गया। पुलिस की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि ये सभी आरोपी ड्रग पैडलिंग में संगठित रूप से जुड़े हुए थे।
NDPS कोर्ट का सख्त रुख
10 जून 2025 को रायपुर NDPS कोर्ट ने सभी पांचों आरोपियों को 10 साल कठोर कारावास और 1 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। विशेष लोक अभियोजक के.के. चंद्राकर के अनुसार, यह पहला मौका है जब NDPS कोर्ट ने महिला आरोपियों को इतनी कठोर सजा दी है।
कोर्ट ने यह भी माना कि महिलाएं अगर ड्रग्स नेटवर्क का हिस्सा हैं, तो उन्हें भी पुरुष अभियुक्तों के समान दंड दिया जाना चाहिए।
सोशल सर्कल से सिंडिकेट तक
प्रिया और नेहा जैसी लड़कियों को ड्रग सिंडिकेट ने सोशल सर्कल में उनके सक्रियता के कारण टारगेट किया। पार्टियों में जाना, इंस्टाग्राम पर "कूल" छवि बनाए रखना और सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना, इन सभी का इस्तेमाल सिंडिकेट ने किया ताकि वे संदेह से बचते हुए ड्रग्स सप्लाई कर सकें।
इन लड़कियों को पहले रिलेशनशिप, फिर नशे की लत, और अंततः सप्लाई नेटवर्क में शामिल कर लिया गया। प्रिया की प्रखर मारवा से दोस्ती इस दिशा में पहला कदम थी।
मुख्य सप्लायर अब भी फरार
प्रखर मारवा, जो मुंबई और गोवा में महंगी पार्टियों का जाना-पहचाना चेहरा था, हर महीने वहां जाकर ड्रग्स मंगवाता था। जांच में यह सामने आया कि उसने प्रिया और नेहा को दो पैकेट MD दिए थे। हालांकि, इस नेटवर्क का बड़ा हिस्सा—जो इन शहरों से ऑपरेट करता था—अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर है।
विशेषज्ञों की राय
नशा मुक्ति केंद्र ‘संकल्प’ के वरिष्ठ काउंसलर अजय श्रीवास्तव ने बताया कि ड्रग्स का सबसे पहला असर व्यक्ति की सोचने की क्षमता और आत्म-नियंत्रण पर पड़ता है। लड़कियों को रिलेशनशिप, स्वतंत्रता और आधुनिक जीवनशैली के बहाने इस जाल में फंसाया जाता है।