कोरबा में जमीन को लेकर दो बड़े विवाद, एक में मारपीट तो दूसरे में प्रशासन की कार्रवाई


 

कोरबा, छत्तीसगढ़ – जिले में जमीन को लेकर दो अलग-अलग घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें एक ओर निजी भूमि पर हुए कब्जे को लेकर तनाव उत्पन्न हुआ, वहीं दूसरी ओर ओवरब्रिज निर्माण के लिए की गई प्रशासनिक कार्रवाई के चलते स्थानीय नागरिकों ने विरोध जताया।

निजी भूमि पर कब्जे का आरोप, युवक घायल

कोतवाली थाना क्षेत्र के सरस्वती शिशु मंदिर के पीछे स्थित जमीन को लेकर एक परिवार ने गंभीर आरोप लगाए हैं। इमलीडुग्गू कुम्हार मोहल्ला निवासी विनोद कुमार और उनके बेटे परवीन साहू ने बताया कि उन्होंने विवादित भूमि को ₹70,000 में खरीदा था और उनके पास वैध दस्तावेज मौजूद हैं।

उनका कहना है कि सीतामढ़ी रेस्ट हाउस क्षेत्र के निवासी मनोज चौहान, पिंटू चौहान और बिट्टू चौहान अपने साथियों सहित मौके पर पहुंचे और जमीन पर जबरन तोड़फोड़ की। जब परवीन ने इसका विरोध किया, तो उसके साथ मारपीट की गई, जिससे उसे सिर पर गंभीर चोटें आईं। परिवार ने थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला पंजीबद्ध किया है।

कोरबा सीएसपी भूषण एक्का ने पुष्टि की कि आरोपियों के खिलाफ उचित धाराओं में अपराध दर्ज किया गया है। वहीं, क्षेत्र में लगातार जमीन संबंधी विवाद और तनाव की स्थिति बनी हुई है।

ओवरब्रिज निर्माण में अतिक्रमण हटाया गया, स्थानीयों ने जताया विरोध

वहीं दूसरी ओर, कुसमुंडा क्षेत्र के इमली छप्पर रेलवे फाटक पर बन रहे ओवरब्रिज को लेकर प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए 11 से अधिक निर्माणों को हटाया। यह कार्रवाई पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में की गई।

स्थानीय लोगों का कहना है कि वे कई वर्षों से यहां रह रहे हैं और अब अचानक बरसात के मौसम में यह कार्रवाई की जा रही है। क्षेत्रवासी गीता गबेल और बसंत चंद्रा ने नाराजगी जताते हुए सवाल उठाया कि पहले यह मामला प्रशासन की नजर में क्यों नहीं आया।

पूर्व पार्षद अमरजीत सिंह ने बताया कि प्रशासन ने इस बारे में पहले से ही नोटिस जारी किया था। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, यह ओवरब्रिज कोयला परिवहन और यातायात बाधाओं को दूर करने के लिए जरूरी है, क्योंकि हर 15-20 मिनट में इस क्षेत्र से मालगाड़ियां गुजरती हैं और तीन दिशाओं का यातायात प्रभावित होता है।

कुसमुंडा थाना प्रभारी युवराज तिवारी ने बताया कि मौके पर स्थिति को शांतिपूर्ण बनाए रखने के लिए पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात किया गया था और प्रशासन, पुलिस तथा एसईसीएल के अधिकारी पूरे समय मौजूद रहे।

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