कोरबा: SECL दीपका और तहसील प्रशासन की बैठक में ग्रामीणों का विरोध, बिना समाधान सर्वे से इनकार


 

(अस्वीकृत भूमि अधिग्रहण, घटती नौकरियां और बसाहट को लेकर जताई नाराजगी)

कोरबा। SECL दीपका प्रबंधन और हरदीबाजार तहसीलदार की ओर से शनिवार को ग्राम पंचायत भवन हरदीबाजार में आयोजित बैठक उस समय विवादों में आ गई जब बड़ी संख्या में पहुंचे ग्रामीणों ने जोरदार विरोध करते हुए बैठक बीच में ही छोड़ दी। बैठक का मकसद गांव की परिसंपत्तियों का सर्वे और नाप प्रक्रिया पर चर्चा करना था, लेकिन ग्रामीणों ने साफ कहा कि जब तक वर्षों पुरानी मांगों पर निर्णय नहीं होगा, तब तक किसी प्रकार का सर्वे स्वीकार नहीं किया जाएगा।

2004 की अधिग्रहित जमीन के मुआवजे की मांग

ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 2004 में जिनकी जमीनें अधिग्रहित की गई थीं, उन्हें अब तक उचित मुआवजा नहीं मिला है। वे वर्तमान बाजार दर के आधार पर मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों ने मांग रखी कि या तो बसाहट स्थल को पूरी सुविधाओं के साथ विकसित किया जाए, या फिर बसाहट न चाहने वाले लोगों को ₹15 लाख रुपये एकमुश्त मुआवजा दिया जाए।

मकान टूटने से पहले मुआवजा देने की मांग

प्रभावित परिवारों ने यह भी कहा कि मकान तोड़ने से पहले मकान के बदले मिलने वाले मुआवजे की आधी राशि उन्हें अग्रिम दी जाए, ताकि वे पुनर्वास की तैयारी कर सकें। ग्रामीणों का तर्क है कि पुराने अनुभवों के आधार पर वे किसी वादे पर अब भरोसा नहीं करते।

घटती नौकरी और भूमि स्वामित्व पर सवाल

बैठक में ग्रामीणों ने SECL द्वारा स्थानीय लोगों को नौकरी देने में हो रही गिरावट पर भी चिंता जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि कंपनी द्वारा अब नियमित नियुक्तियों की बजाय संविदा के माध्यम से बाहरी लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है। साथ ही, ग्रामीणों ने 2004 और 2010 के बाद खरीदी गई जमीनों को पूर्ण भूमि स्वामी के रूप में मान्यता देने की मांग की।

कलिंगा कंपनी के खिलाफ भी नाराजगी

बैठक में कलिंगा कंपनी के खिलाफ भी गुस्सा देखने को मिला। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि कंपनी के कुछ लोग भर्ती के नाम पर पैसे की मांग और गुंडागर्दी कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार, कंपनी के खिलाफ पहले से ही मानिकपुर चौकी में मारपीट का मामला दर्ज है। इसी वजह से ग्रामीणों ने कंपनी के गांव में प्रवेश पर भी आपत्ति जताई।

SECL अधिकारी के बयान पर भड़के ग्रामीण

बैठक के दौरान जब SECL के एक अधिकारी ने यह बयान दिया कि 2004 और 2010 के बाद अधिग्रहित भूमि को मान्यता नहीं दी जाएगी, तो इससे ग्रामीणों का आक्रोश और बढ़ गया। उन्होंने बैठक का बहिष्कार करते हुए विरोध दर्ज कराया।

फैसले के लिए बिलासपुर बैठक का आश्वासन

SECL के महाप्रबंधक संजय मिश्रा ने इस पूरे विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कंपनी प्रबंधन इन मांगों पर विचार कर रहा है और बिलासपुर में जल्द ही एक उच्चस्तरीय बैठक कर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि वे अब केवल लिखित आश्वासन पर ही भरोसा करेंगे।

ग्रामीणों की चेतावनी

ग्रामीणों ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती, तब तक किसी भी सर्वे या परियोजना को गांव में नहीं चलने दिया जाएगा। उनका कहना है कि अब उनके सब्र का बांध टूट चुका है और आंदोलन के लिए वे पूरी तरह तैयार हैं।

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