एम्स में दुर्लभ ऑपरेशन से 13 वर्षीय बच्चे के फेफड़े से निकली सेफ्टी पिन, डॉक्टरों की टीम ने रचा इतिहास


 

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में डॉक्टरों की एक टीम ने दुर्लभ और जटिल सर्जरी कर 13 वर्षीय बच्चे की जान बचाई है। खेलते समय लापरवाही से बच्चे के फेफड़े में पहुंची सेफ्टी पिन को सफलतापूर्वक निकाला गया है। यह ऑपरेशन मेडिकल जगत के लिए एक मिसाल बन गया है।

जानकारी के अनुसार, यह मामला 30 जून का है, जब दिल्ली के एक 13 वर्षीय बच्चे को सीने में तेज दर्द और खांसने पर खून आने की समस्या के बाद एम्स लाया गया था। प्रारंभिक जांच में जब डॉक्टरों ने एक्स-रे कराया तो सामने आया कि बच्चे के बाएं फेफड़े के निचले हिस्से में एक तेजधार सेफ्टी पिन फंसी हुई है।

परिवार से बातचीत में पता चला कि बच्चा खेलते समय पिन को मुंह में रखे हुए था। इसी दौरान अचानक खांसी आने पर पिन सीधे सांस की नली से फेफड़े में पहुंच गई।

ऑपरेशन हुआ सफलता से
डॉक्टरों ने तत्काल बच्चे को वीडियो ब्रोंकोस्कोपी प्रक्रिया से इलाज के लिए भर्ती किया। इस जटिल प्रक्रिया में विशेषज्ञों ने वीडियो ब्रोंकोस्कोप और विशेष उपकरणों की मदद से पिन को ढूंढा। सटीक तकनीक और अत्यधिक सतर्कता के साथ फेफड़े से पिन को बाहर निकालने में सफलता मिली। ऑपरेशन के अगले ही दिन बच्चे को पूरी तरह स्वस्थ होने पर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

इस ऑपरेशन को सफल बनाने वाली टीम में डॉ. रंगनाथ टी. गंगा, डॉ. अजय बेहेरा, डॉ. प्रवीण दुबे, डॉ. राहुल चक्रवर्ती और डॉ. देवेंद्र त्रिपाठी शामिल रहे। एम्स के कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ ले. जनरल (सेवानिवृत्त) अशोक जिंदल ने पूरी टीम की प्रशंसा करते हुए कहा, “यह ऑपरेशन एम्स की चिकित्सकीय गुणवत्ता और तकनीकी दक्षता का प्रतीक है। इसने बच्चों की आपातकालीन चिकित्सा में हमारे अनुभव को और समृद्ध किया है।”

खतरा जानिए, सतर्क रहें
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि फेफड़े में कोई वस्तु फंस जाए तो इसे हल्के में लेना घातक हो सकता है। लापरवाही से संक्रमण, सांस रुकने, फेफड़े के क्षतिग्रस्त होने और जीवन संकट की स्थिति बन सकती है।
एम्स के डॉक्टरों ने परिजनों से अपील की है कि छोटे बच्चों को ऐसी नुकीली या छोटी वस्तुओं से दूर रखें, जिन्हें वे गलती से निगल सकते हैं या सांस में खींच सकते हैं।

यह भी सीख मिली

  • बच्चों के आसपास खतरनाक वस्तुएं न रखें

  • खांसी, सांस लेने में तकलीफ, खून आने जैसी समस्या को नजरअंदाज न करें

  • तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें

  • समय पर इलाज से जान बचाई जा सकती है

डॉक्टरों का संदेश: “सावधानी से ही दुर्घटना रोकी जा सकती है, लेकिन आपातकाल में समय पर उपचार सबसे बड़ा हथियार है।”

यह मामला न केवल एक बच्चे के जीवन को बचाने की कहानी है, बल्कि पूरे देश में लोगों के लिए जागरूकता का संदेश भी है।

Post a Comment

Previous Post Next Post