दुर्ग में बाढ़ पूर्व मॉक ड्रिल: SDRF टीम की व्यापक तैयारी, आधुनिक उपकरणों से किया रेस्क्यू ऑपरेशन का अभ्यास


 

दुर्ग, 22 जून — मानसून की दस्तक से पहले दुर्ग जिला प्रशासन ने बाढ़ से निपटने की तैयारियों को लेकर कमर कस ली है। इसी के तहत शनिवार को शिवनाथ नदी में राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) द्वारा मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इस अभ्यास का उद्देश्य संभावित बाढ़ आपदा के दौरान राहत एवं बचाव कार्यों की रणनीति को परखना और उसमें इस्तेमाल होने वाली तकनीकों को ज़मीनी स्तर पर जांचना था।

शिवनाथ नदी के किनारे बसे दुर्ग जिले के करीब तीन दर्जन गांव हर वर्ष बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं। इसी खतरे को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन इस बार पहले से ही सक्रिय हो गया है। मॉक ड्रिल के दौरान नदी में नाव पलटने, व्यक्ति के बह जाने, और जलभराव के कारण रास्तों के बाधित होने जैसी संभावित आपात स्थितियों का सजीव प्रदर्शन किया गया।

कलेक्टर ने लिया जायजा, आपदा उपकरणों की हुई समीक्षा

इस मॉक ड्रिल में दुर्ग कलेक्टर अभिजीत सिंह, एसडीआरएफ के कमांडेंट नागेंद्र सिंह सहित कई प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे। कलेक्टर ने SDRF की कार्यप्रणाली की बारीकी से समीक्षा करते हुए कहा कि, “हमारी टीम पूरी तरह से तैयार है और किसी भी आपात स्थिति में त्वरित रेस्पॉन्स देने में सक्षम है।”

ड्रिल के दौरान वैक्यूम लोकेशन कैमरा, अंडरवाटर कैमरा, लाइफ बोट, लाइफ जैकेट, रस्से, टॉर्च सहित कई आधुनिक उपकरणों का प्रदर्शन किया गया। इन उपकरणों की मदद से डूबे हुए व्यक्तियों की खोजबीन और फंसे हुए लोगों का रेस्क्यू प्रदर्शित किया गया।

गोताखोरों की संख्या में बढ़ोतरी, बोट्स को अपग्रेड किया गया

एसडीआरएफ कमांडेंट नागेंद्र सिंह ने जानकारी दी कि टीम को हर साल कटक और कोलकाता में विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। इस बार विशेष ध्यान तैराकी, गोताखोरी और आधुनिक उपकरणों के उपयोग पर दिया गया है।

उन्होंने बताया कि, “हमारी टीम के पास अब 07 आधुनिक बोट्स हैं, और गोताखोरों की संख्या भी बढ़ा दी गई है। जैसे ही सूचना मिलती है, हमारी टीम मिनटों में रवाना होने के लिए तैयार रहती है।”

स्थानीय निवासियों में बढ़ा विश्वास

इस मॉक ड्रिल ने न सिर्फ प्रशासन की तैयारियों को परखा बल्कि स्थानीय लोगों में भी यह विश्वास पैदा किया कि संभावित आपदा की स्थिति में उनकी सुरक्षा को लेकर प्रशासन सजग है।

दुर्ग प्रशासन की इस पहल को आपदा प्रबंधन की दिशा में एक अनुकरणीय प्रयास माना जा रहा है, जो न केवल तैयारी को दर्शाता है बल्कि आने वाले मानसून सीजन में संभावित संकट को कम करने की दिशा में एक मजबूत कदम भी है।

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