बिलासपुर-रायपुर हाईवे पर फिर मवेशियों की दर्दनाक मौत: तेज रफ्तार वाहन ने 16 गायों को कुचला, 15 की मौत


 

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में नेशनल हाईवे पर मवेशियों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार रात (30 जुलाई) एक बार फिर तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने लिमतरा के पास सड़क पर बैठे 16 से अधिक गायों को रौंद दिया। इस हादसे में 15 गायों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक मवेशी गंभीर रूप से घायल हो गया। यह घटना हिर्री-सरगांव थाना क्षेत्र की है, जो गुरुवार सुबह सामने आई जब हाईवे पर खून से सने मवेशियों के शव बिखरे मिले।

घटना ने न केवल पशु प्रेमियों और गौ सेवकों को झकझोर दिया है, बल्कि यह जिला प्रशासन और राज्य सरकार की लापरवाही को भी उजागर करती है। गौर करने वाली बात यह है कि यह पिछले 20 दिनों में तीसरी बड़ी घटना है, जिसमें अब तक कुल 50 से अधिक गौवंशों की सड़क हादसों में जान जा चुकी है। इससे पहले 14 जुलाई को इसी मार्ग पर एक तेज रफ्तार वाहन ने 22 गायों को कुचल दिया था, जिसमें 17 की मौत हुई थी।

गौ सेवकों में आक्रोश, प्रशासन पर कार्रवाई की मांग

गुरुवार सुबह जब स्थानीय लोग सड़क से गुजर रहे थे, तब उन्होंने मवेशियों के शवों को देखा और तुरंत गौ सेवकों तथा पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंचकर पुलिस ने स्थिति का जायजा लिया। वहीं, गौ सेवकों ने प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जताई और कहा कि बार-बार चेतावनी देने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा। उन्होंने दोषी वाहन चालक की गिरफ्तारी और सख्त कार्रवाई की मांग की है।

हाईकोर्ट के आदेश भी बेअसर

बिलासपुर हाईकोर्ट ने पहले ही सड़कों पर मवेशियों की बढ़ती संख्या को गंभीर समस्या मानते हुए राज्य शासन को मवेशियों को सड़कों से हटाने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद ज़मीनी स्तर पर कोई असर नजर नहीं आ रहा है। हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की बेंच में वर्ष 2019 से इस मुद्दे पर कई बार सुनवाई हो चुकी है।

मार्च 2024 में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि बरसात के मौसम में मवेशियों के सड़क पर बैठने की घटनाएं ज्यादा होती हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। कोर्ट ने राज्य सरकार और एनएचएआई से जवाब भी मांगा था, लेकिन आज तक प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हुआ है।

जिले में लागू धारा 163, फिर भी नहीं सुधरे हालात

बिलासपुर कलेक्टर संजय अग्रवाल ने बताया कि जिले में धारा 163 को प्रभावशील किया गया है, जिसके तहत सड़कों पर मवेशी छोड़ने पर संबंधित गौ पालक के खिलाफ जुर्माना और एफआईआर का प्रावधान है। इसके बावजूद हादसे रुकने का नाम नहीं ले रहे। कलेक्टर का कहना है कि लगातार अधिकारियों की बैठक लेकर सड़कों से मवेशियों को हटाने के निर्देश दिए गए हैं। मवेशी पालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के भी आदेश हैं, फिर भी लापरवाही बनी हुई है।

हाईवे बना मौत का रास्ता

बिलासपुर-रायपुर नेशनल हाईवे पर लगातार हो रही मवेशियों की मौत की घटनाओं ने इसे "मौत का हाईवे" बना दिया है। तखतपुर-मुंगेली रोड, कोटा, मस्तूरी, चकरभाठा और सीपत जैसे इलाकों में शाम होते ही मवेशियों का झुंड सड़कों पर देखा जा सकता है। इससे न केवल मवेशियों की जान खतरे में पड़ती है, बल्कि वाहन चालकों की भी जान जोखिम में रहती है।

समाधान की आवश्यकता

इस समस्या से निपटने के लिए एक समन्वित प्रयास की जरूरत है। राज्य सरकार, जिला प्रशासन, नगर निगम और पशुपालन विभाग को मिलकर एक दीर्घकालिक समाधान तैयार करना होगा। सड़क किनारे गौशालाओं की स्थापना, मवेशियों की टैगिंग और नियमित गश्त जैसे कदम तत्काल प्रभाव से लागू करने होंगे।

अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो यह सिलसिला यूं ही जारी रहेगा और मासूम मवेशियों की जानें जाती रहेंगी। साथ ही, शासन-प्रशासन की जवाबदेही पर भी सवाल उठते रहेंगे।

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