तलाक के बाद पति की संपत्ति पर अधिकार नहीं: हाईकोर्ट ने पत्नी की अपील खारिज की


 

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि तलाक के बाद पत्नी का पति की संपत्ति पर कोई वैधानिक अधिकार नहीं रह जाता है। अदालत ने रायगढ़ सिविल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए महिला की अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उसने तलाक के बावजूद पति की संपत्ति पर अधिकार जताया था।

यह मामला रायगढ़ जिले का है, जहां एक महिला ने अपने पूर्व पति की संपत्ति पर मालिकाना हक जताते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। महिला का तर्क था कि तलाक के बावजूद उसे अपने पति की संपत्ति में रहने और उसका उपयोग करने का अधिकार है। लेकिन हाईकोर्ट ने तलाक की डिक्री को आधार मानते हुए महिला के सभी दावों को खारिज कर दिया और साफ कहा कि तलाक के बाद वैवाहिक संबंध पूरी तरह समाप्त हो जाते हैं, जिससे उत्तराधिकार का अधिकार भी स्वतः समाप्त हो जाता है।

जानिए क्या है पूरा मामला?

रायगढ़ जिले का रहने वाला एक युवक जिंदल स्टील प्लांट में कार्यरत था। वर्ष 2007 में उसने प्लांट की ही एक महिला कर्मचारी से प्रेम विवाह किया था। विवाह के कुछ वर्षों बाद पति-पत्नी के बीच रिश्तों में खटास आनी शुरू हो गई। आरोप है कि महिला के चरित्र को लेकर दोनों के बीच विवाद बढ़ा और वर्ष 2010 से वे अलग-अलग रहने लगे।

तीन साल तक अलग रहने के बाद वर्ष 2013 में पति ने रायगढ़ फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका दायर की। फैमिली कोर्ट ने 31 मार्च 2014 को पति के पक्ष में तलाक की डिक्री जारी कर दी। डिक्री के अनुसार, दोनों के बीच वैवाहिक संबंध समाप्त हो गए।

तलाक के बाद महिला ने कर लिया मकान पर कब्जा

तलाक के बाद युवक ने रायगढ़ में एक मकान खरीदा था, जिसे किराए पर दिया गया था। लेकिन कुछ समय बाद उसकी पूर्व पत्नी ने अपने 8-10 रिश्तेदारों के साथ मिलकर उस मकान पर जबरन कब्जा कर लिया और वहां रहने लगी। युवक ने इस संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने इस पर कार्रवाई करते हुए महिला और उसके साथियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 452 (घर में जबरन प्रवेश), 448 और 34 के तहत अपराध दर्ज कर लिया।

संपत्ति पर अधिकार को लेकर महिला ने दायर किया सिविल सूट

इसके बावजूद महिला ने रायगढ़ सिविल कोर्ट में याचिका दाखिल कर पति की संपत्ति पर अधिकार जताया। महिला ने कहा कि तलाक के बावजूद उसे उस संपत्ति पर अधिकार है, क्योंकि वह विवाहिता थी और उस मकान में रह रही थी। लेकिन सिविल कोर्ट ने इस दावे को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि तलाक के बाद पत्नी का पति की संपत्ति पर कोई वैध अधिकार नहीं बचता।

हाईकोर्ट ने भी नहीं दी राहत

सिविल कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ महिला ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अपील की। उसने अपनी अपील में कहा कि सिविल कोर्ट ने गलत ढंग से फैसला दिया है और उसे उसके वैध अधिकार से वंचित किया गया है। उसने तर्क दिया कि तलाक होने के बावजूद वह पति की संपत्ति पर दावा करने का अधिकार रखती है।

लेकिन हाईकोर्ट ने सिविल कोर्ट के फैसले को सही ठहराया। अदालत ने कहा कि तलाक की डिक्री के बाद पति-पत्नी के बीच सभी वैवाहिक संबंध समाप्त हो जाते हैं। इस वजह से पत्नी का वैवाहिक दर्जा समाप्त हो जाता है और वह पति की संपत्ति पर कोई वैधानिक दावा नहीं कर सकती।

अदालत की स्पष्ट टिप्पणी

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में लिखा कि तलाक की डिक्री के बाद महिला अब उस पुरुष की पत्नी नहीं रही, इसलिए न ही उसे उत्तराधिकार का अधिकार प्राप्त है और न ही स्वामित्व का। संपत्ति का स्वामित्व उस व्यक्ति का व्यक्तिगत अधिकार है, और किसी पूर्व पत्नी द्वारा उसे चुनौती नहीं दी जा सकती। अदालत ने कहा कि महिला का दावा कानूनन अस्थिर और अवैध है।

Post a Comment

Previous Post Next Post