बिलासपुर में नहीं थम रहा रेत माफिया का खेल, नए अफसर के बावजूद हालात जस के तस छापेमारी में 5 ट्रैक्टर जब्त, 700 घन मीटर रेत का अवैध भंडारण उजागर


 

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में खनिज माफियाओं का बेखौफ खेल बदस्तूर जारी है। राज्य शासन द्वारा मानसून के चलते 15 अक्टूबर तक रेत, मुरूम और मिट्टी के खनन पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद अवैध उत्खनन और परिवहन पर अंकुश नहीं लग पाया है। हाल ही में जिले में खनिज विभाग के अधिकारियों का तबादला हुआ और नए अफसरों की नियुक्ति की गई, लेकिन इसके बाद भी हालात में कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला है।

बुधवार को खनिज विभाग द्वारा की गई कार्रवाई में 5 ट्रैक्टर जब्त किए गए, जिनसे अवैध रूप से रेत का परिवहन किया जा रहा था। साथ ही नगोई क्षेत्र में लगभग 700 घनमीटर रेत का अवैध भंडारण भी जब्त किया गया। यह कार्रवाई नए उप संचालक केके गोलघाटे के नेतृत्व में की गई, जो हाल ही में रायपुर से स्थानांतरित होकर बिलासपुर में पदस्थ हुए हैं।

पहली ही कार्रवाई में मिली बड़ी सफलता

नवपदस्थ डिप्टी डायरेक्टर गोलघाटे की पहली कार्रवाई में ही अवैध खनन पर बड़ी सफलता हाथ लगी। जोगीपुर क्षेत्र में दो ट्रैक्टर को रेत के अवैध खनन के आरोप में जब्त कर रतनपुर थाने के सुपुर्द किया गया। वहीं आमागोहन से रेत भरकर ले जा रहे तीन अन्य ट्रैक्टरों को भी जब्त कर बेलगहना पुलिस चौकी को सौंपा गया। इसके अलावा, नगोई क्षेत्र में रेत का बड़ा अवैध भंडारण पाया गया, जिसे जिला पंचायत सदस्य निरंजन पैकरा की सुपुर्दगी में दिया गया है।

कानून का डर नहीं, माफिया बेखौफ

खनिज विभाग के अफसरों के लगातार प्रयासों और प्रशासन की सख्ती के बावजूद रेत माफिया कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं। अरपा नदी के तटवर्ती क्षेत्रों जैसे दयालबंद, ढेका, दोमुहानी, कोनी, सेंदरी, कछार के साथ ही ग्रामीण इलाकों में रतनपुर, जोगीपुर, कोटा, बेलगहना, सोनपुरी, नगोई, खोंगसरा और आमागोहन जैसे गांवों में अवैध खनन का काम बिना किसी रोक-टोक के चल रहा है।

स्थानीय लोग बताते हैं कि रेत, मुरूम और मिट्टी का खनन रात के अंधेरे में किया जाता है और दिन निकलने से पहले ही ट्रैक्टरों के जरिए निर्माण कार्यों में लगा दिया जाता है। इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि शासन को राजस्व की भी भारी हानि हो रही है।

क्या हैं सरकार की रोक-टोक के आदेश?

राज्य शासन ने मानसून के दौरान पर्यावरण संरक्षण और जल संसाधनों की सुरक्षा को देखते हुए 15 अक्टूबर तक रेत, मुरूम और मिट्टी के खनन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया है। इस आदेश के तहत किसी भी प्रकार का खनन, परिवहन या भंडारण अवैध माना जाएगा। बावजूद इसके माफिया सक्रिय हैं और कानून को चुनौती दे रहे हैं।

जिम्मेदार अधिकारी बदले, लेकिन नीति वही

2 जुलाई को खनिज विभाग के उप संचालक डॉ. दिनेश मिश्रा और खनिज अधिकारी रमाकांत सोनी का स्थानांतरण कर दिया गया। इनकी जगह नए अधिकारी नियुक्त किए गए, जिससे उम्मीद की जा रही थी कि जिले में अवैध खनन पर रोक लगेगी। लेकिन शुरुआती कार्रवाई को छोड़ दें तो व्यवस्था में कोई बड़ा बदलाव नहीं दिख रहा।

प्रशासन को और कड़ा रुख अपनाने की जरूरत

विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक खनिज विभाग, जिला प्रशासन और पुलिस विभाग समन्वित रूप से कार्रवाई नहीं करेंगे, तब तक अवैध खनन पर लगाम लगाना मुश्किल होगा। रेत माफिया के नेटवर्क को तोड़ने के लिए न केवल सतत निगरानी जरूरी है, बल्कि दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई भी आवश्यक है।

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