छत्तीसगढ़ में प्राचार्य पदोन्नति का रास्ता साफ, हाईकोर्ट ने हटाया स्टे आदेश


 

रायपुर, 1 जुलाई 2025
छत्तीसगढ़ में प्राचार्य पद के लिए शिक्षकों की पदोन्नति का रास्ता अब पूरी तरह से साफ हो गया है। बिलासपुर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने राज्य शासन की प्रमोशन नीति को वैध करार देते हुए सभी संबंधित याचिकाएं खारिज कर दी हैं। साथ ही, पदस्थापना पर लगी रोक को भी तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। इस फैसले से राज्य के हजारों शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है।

यह मामला पिछले कुछ महीनों से न्यायालय में लंबित था। राज्य शासन द्वारा 30 अप्रैल को व्याख्याता संवर्ग से प्राचार्य के पद पर पदोन्नति की सूची जारी की गई थी, लेकिन 1 मई को हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश जारी करते हुए सभी नई नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ताओं ने पदोन्नति प्रक्रिया और बीएड की अनिवार्यता को चुनौती दी थी।

पदोन्नति नियमों को बताया वैध
याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच ने स्पष्ट किया कि राज्य शासन ने नियमों के अनुरूप पदोन्नति प्रक्रिया अपनाई है और इसमें किसी तरह की अनियमितता नहीं पाई गई है। कोर्ट ने बीएड डिग्री की अनिवार्यता और वरिष्ठता विवाद को भी खारिज करते हुए शासन के पक्ष को सही ठहराया।

3500 स्कूलों में होगी नियुक्ति
हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब राज्य सरकार के लिए रास्ता साफ हो गया है कि वह पदोन्नति सूची में शामिल शिक्षकों को जल्द प्राचार्य के पद पर पोस्टिंग दे। शिक्षक संगठनों का कहना है कि शिक्षा सत्र की शुरुआत के साथ ही प्रदेश के करीब 3500 उच्च माध्यमिक और माध्यमिक स्कूलों में प्राचार्य की नियुक्ति होनी चाहिए, जिससे स्कूलों का संचालन बेहतर ढंग से किया जा सके।

शिक्षक संगठनों ने जताई राहत
शिक्षक साझा मंच के प्रदेश संचालक संजय शर्मा ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह व्याख्याता वर्ग के शिक्षकों की लंबी कानूनी लड़ाई की जीत है। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि अब विलंब न करते हुए सभी चयनित शिक्षकों को तत्काल प्राचार्य पद पर पदस्थ किया जाए।

पृष्ठभूमि में न्यायालय की सख्ती
गौरतलब है कि प्रारंभिक दौर में कुछ शिक्षकों को कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए प्राचार्य पद पर पदस्थ कर दिया गया था। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए सभी ज्वॉइनिंग को अमान्य कर दिया था। लेकिन अंतिम सुनवाई में सभी तथ्यों को परखने के बाद कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रमोशन प्रक्रिया नियमों के मुताबिक ही की गई थी।

आगे की कार्रवाई पर नजर
अब सभी की निगाहें शिक्षा विभाग और राज्य सरकार पर टिकी हैं कि वह हाईकोर्ट के इस आदेश का पालन करते हुए कब तक औपचारिक रूप से नियुक्ति आदेश जारी करती है। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही 3500 स्कूलों को स्थायी प्राचार्य मिलेंगे और शिक्षा व्यवस्था में नया नेतृत्व स्थिरता और गुणवत्ता ला सकेगा।


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