दुर्ग, छत्तीसगढ़।
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में बुधवार सुबह एक बड़ी कार्रवाई देखने को मिली, जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने मोक्षित कॉर्पोरेशन के कई ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। तड़के सुबह करीब 6 बजे ईडी के दो दर्जन से अधिक अधिकारी तीन स्थानों पर पहुंचे और छानबीन शुरू की। कार्रवाई कंपनी के तीन आवासीय परिसरों और कार्यालयों में एक साथ चल रही है।
सूत्रों के अनुसार, यह रेड छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) से जुड़े 400 से 660 करोड़ रुपये के कथित घोटाले से जुड़ी हो सकती है। फिलहाल ईडी ने आधिकारिक तौर पर छापेमारी के कारणों की पुष्टि नहीं की है, लेकिन जांच एजेंसी द्वारा जुटाए गए दस्तावेज और पूर्व में हुई पूछताछ के आधार पर यह कार्रवाई मानी जा रही है।
तीन लोगों के ठिकानों पर फोकस
ईडी की इस कार्रवाई में कंपनी से जुड़े प्रमुख नाम – सिद्धार्थ चोपड़ा, शशांक चोपड़ा और शरद चोपड़ा के आवासों पर छापा मारा गया है। इन तीनों को मोक्षित कॉर्पोरेशन के प्रमुख कर्ताधर्ता माना जाता है। तीनों के आवासों पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवानों की भारी तैनाती रही, ताकि सुरक्षा और शांति व्यवस्था बनी रहे।
बंगले के बाहर अधिकारियों की 6 से 7 गाड़ियां देखी गईं, जिनमें से कुछ दिल्ली और नागपुर की नंबर प्लेट वाली थीं, जिससे यह साफ है कि यह एक समन्वित और योजनाबद्ध कार्रवाई है।
पहले भी हो चुकी है कार्रवाई
यह पहली बार नहीं है जब मोक्षित कॉर्पोरेशन के खिलाफ किसी एजेंसी ने कार्रवाई की है। करीब छह महीने पहले राज्य की एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (EOW) ने भी इसी फर्म के ठिकानों पर छापेमारी की थी। उस समय दवाओं की आपूर्ति में अनियमितता और बिलों में गड़बड़ी को लेकर जांच की गई थी।
उस कार्रवाई में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए थे, जिसके आधार पर CGMSC घोटाले की कड़ियाँ सामने आई थीं। अब ईडी की ताजा कार्रवाई उसी जांच को आगे बढ़ाने की कड़ी मानी जा रही है।
CGMSC क्या है?
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) राज्य सरकार की एक एजेंसी है जो सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में दवाइयां, सर्जिकल उपकरण और मेडिकल इक्विपमेंट की खरीद और आपूर्ति करती है। इस एजेंसी का बजट हर साल करोड़ों में होता है और बीते कुछ वर्षों में इसमें भ्रष्टाचार और गड़बड़ी के आरोप सामने आए हैं।
मोक्षित कॉर्पोरेशन को भी CGMSC के माध्यम से दवाइयों और चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति के लिए ठेका मिला था। आरोप है कि सप्लाई किए गए उत्पादों की कीमतें बाजार दर से कई गुना अधिक बताई गईं, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।
दस्तावेजों की छानबीन जारी
ईडी की टीमें फिलहाल आवासीय परिसरों और दफ्तरों में मौजूद दस्तावेज, कंप्यूटर, लैपटॉप और डिजिटल रिकॉर्ड्स की जांच कर रही हैं। कुछ कर्मचारियों से पूछताछ भी की गई है और संभावना है कि कुछ लोगों को हिरासत में लेकर औपचारिक बयान लिए जाएं।
सूत्र बताते हैं कि ईडी को कुछ ऐसे लेन-देन के सबूत मिले हैं जिनमें कागजों पर बड़ी रकम दर्शाई गई है, लेकिन जमीन पर सप्लाई या सेवा का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला। इसके अलावा शेल कंपनियों के माध्यम से धन के लेनदेन का भी शक जताया जा रहा है।
राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल
ईडी की इस कार्रवाई से जिले और राज्य के राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई बताया है, जबकि सत्तारूढ़ दल ने अभी इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
अब देखना होगा कि जांच में और क्या तथ्य सामने आते हैं और क्या इस कार्रवाई से CGMSC घोटाले की परतें पूरी तरह खुल पाती हैं या नहीं।