रायपुर में ऑपरेशन मुस्कान की बड़ी सफलता: 581 गुमशुदा बच्चों की घर वापसी, राखी पर बहनों ने पुलिस का जताया आभार


 

रायपुर में इस बार का रक्षाबंधन कई परिवारों के लिए यादगार बन गया। वजह बनी रायपुर पुलिस की संवेदनशील पहल – ऑपरेशन मुस्कान और अभियान तलाश। इन अभियानों के तहत बीते दो महीनों में 581 गुमशुदा बच्चों और युवाओं को उनके घर वापस पहुंचाया गया। यह सिर्फ पुलिस की कार्यकुशलता नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना का भी अद्भुत उदाहरण है।

राखी के दिन गुढ़ियारी थाना में ऐसा भावुक दृश्य देखने को मिला, जिसे देखकर वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गईं। दो बहनों ने थाना प्रभारी बी.एल. चंद्राकर को राखी बांधते हुए कहा, “आपने हमारे भाइयों को ढूंढकर हमें इस राखी का सबसे बड़ा तोहफा दिया है।” यह सिर्फ राखी बांधने का पल नहीं था, बल्कि भरोसे और सुरक्षा के उस वचन का प्रतीक था, जो समाज को एकजुट करता है।

दो भाइयों की वापसी से भरी खुशियां

गुढ़ियारी निवासी राम केशरवानी 23 जुलाई को अपने घर से बिना बताए चले गए थे। परिवार चिंतित था और तलाश के लिए गुढ़ियारी थाना पहुंचा। पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज कर खोज शुरू की और जल्द ही राम को ढूंढकर घर पहुंचाया। उनकी बहन ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और पुलिस प्रशासन का आभार जताया।

इसी तरह गोगांव निवासी रामप्रसाद का पुत्र जयंत अपने दोस्तों के साथ घर से कहीं चला गया था। माता ने इसकी रिपोर्ट गुढ़ियारी थाना में दर्ज कराई। पुलिस ने जांच में पाया कि बच्चा रेलवे स्टेशन में है, जहां से रेलवे पुलिस ने उसे बाल संप्रेक्षण गृह भेजा था। समन्वय के बाद पुलिस ने उसे सुरक्षित परिवार को सौंपा। उसकी बहन ने भी राखी बांधकर थाना प्रभारी को धन्यवाद दिया।

बेटी की वापसी से लौटे चेहरे पर मुस्कान

राजा तालाब निवासी अमन राज की बेटी कुछ दिन पहले बिना बताए घर से चली गई थी। सिविल लाइन थाना में केस दर्ज होने के बाद पुलिस ने सतर्कता से जांच शुरू की। भिलाई में बेटी का पता चला और उसे सुरक्षित रायपुर लाकर परिजनों को सौंपा गया। बेटी को देखकर पिता की आंखों में खुशी के आंसू थे और चेहरा गर्व से खिल उठा।

पुलिस की त्वरित कार्रवाई

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मंशा के अनुरूप रायपुर पुलिस ने ऑपरेशन मुस्कान और अभियान तलाश को प्राथमिकता दी है। गुमशुदगी की सूचना मिलते ही टीम सक्रिय हो जाती है, आसपास के जिलों और राज्यों में संपर्क साधा जाता है, परिवहन केंद्रों पर निगरानी रखी जाती है और पीड़ित परिवार को लगातार अपडेट दिया जाता है। यही कारण है कि इतने कम समय में सैकड़ों परिवारों को उनके बिछड़े सदस्य मिल सके।

राखी का अनोखा तोहफा

गुढ़ियारी थाना में राखी के दिन का दृश्य अनोखा था। वहां सिर्फ बहन-भाई का रिश्ता नहीं, बल्कि पुलिस और जनता के बीच का विश्वास भी मजबूत हुआ। बच्चों की वापसी ने त्योहार की खुशियों को कई गुना बढ़ा दिया। यह साबित हुआ कि पुलिस केवल कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी नहीं निभाती, बल्कि समाज के कमजोर और जरूरतमंद वर्ग की मदद में भी हमेशा आगे रहती है।

मानवीय पहल का असर

इन अभियानों ने न सिर्फ बच्चों को उनके परिवारों से मिलाया, बल्कि समाज में यह संदेश भी दिया कि जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने पर बदलाव लाया जा सकता है। कई ऐसे बच्चे, जो अनजाने में घर से दूर हो गए थे, अब सुरक्षित माहौल में अपनी जिंदगी दोबारा शुरू कर सकते हैं।

रायपुर पुलिस का यह प्रयास बताता है कि एक संगठित और समर्पित टीम किसी भी मुश्किल हालात को बदल सकती है। यह सिर्फ कानूनी कामयाबी नहीं, बल्कि मानवीय जीत भी है, जो आने वाले वर्षों तक लोगों के दिलों में याद रहेगी।

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