छत्तीसगढ़ में नई औद्योगिक नीति से बड़ा निवेश, 63 हजार से अधिक रोजगार के अवसर


 

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार की नई औद्योगिक नीति का असर अब धरातल पर दिखाई देने लगा है। राज्य में निवेशकों का रुझान लगातार बढ़ रहा है। सरकार द्वारा घोषित 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी वाली नीति और अन्य रियायतों ने उद्योगपतियों को आकर्षित किया है। इसके परिणामस्वरूप पिछले एक वर्ष में देशभर से 66 निवेशकों ने राज्य में उद्योग स्थापित करने के लिए आगे आकर कुल 6.65 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों पर सहमति दी है।

इन निवेश प्रस्तावों के पीछे छत्तीसगढ़ की रणनीति साफ है – प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध इस प्रदेश को उद्योग, ऊर्जा, खनन और आईटी जैसे क्षेत्रों का बड़ा केंद्र बनाना। सरकार ने निवेशकों को केवल छूट और रियायतें ही नहीं दीं, बल्कि उन्हें सरल और पारदर्शी व्यवस्था भी उपलब्ध कराई है, ताकि किसी तरह की अड़चन विकास में बाधा न बने।

अदाणी समूह का सबसे बड़ा निवेश

इनमें सबसे बड़ा निवेश अदाणी समूह की ओर से किया गया है। अदाणी समूह ने छत्तीसगढ़ में ऊर्जा, सीमेंट और कोल माइनिंग के क्षेत्र में उद्योग स्थापित करने के लिए 80,344 करोड़ रुपये का निवेश करने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके साथ ही यह उम्मीद जताई जा रही है कि प्रदेश में ऊर्जा उत्पादन और खनिज आधारित उद्योगों का एक नया अध्याय शुरू होगा।

विभिन्न क्षेत्रों में निवेश

निवेश प्रस्ताव केवल खनिज या ऊर्जा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि बायो गैस, सीमेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स, एथेनॉल, फूड प्रोसेसिंग और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे विविध क्षेत्रों को भी शामिल करते हैं। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था में बहुआयामी विकास की संभावना मजबूत होगी। फूड प्रोसेसिंग और एथेनॉल उद्योग से जहां किसानों को सीधा लाभ मिलेगा, वहीं आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग युवाओं को आधुनिक रोजगार के अवसर प्रदान करेंगे।

रोजगार के नए अवसर

सरकार का दावा है कि इन तमाम उद्योगों से प्रदेश में 63,651 से अधिक रोजगार पैदा होंगे। इनमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के अवसर शामिल हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी इन उद्योगों के चलते छोटे व्यापार, परिवहन और सेवा क्षेत्र में काम करने वालों को लाभ मिलेगा। इससे स्थानीय युवाओं के पलायन पर रोक लगने की भी संभावना है।

आठ उद्योगों ने शुरू किया काम

जानकारी के अनुसार, 66 निवेशकों में से आठ निवेशक अपने उद्योगों की स्थापना की प्रक्रिया शुरू भी कर चुके हैं। इसका मतलब है कि आने वाले कुछ महीनों में जमीन पर उद्योग स्थापित होते हुए नजर आने लगेंगे। यह शुरुआत भविष्य की बड़ी औद्योगिक तस्वीर का संकेत देती है।

औद्योगिक नीति पर सरकार का फोकस

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि राज्य की नई औद्योगिक नीति का उद्देश्य केवल बड़े निवेशकों को आकर्षित करना ही नहीं है, बल्कि छोटे और मध्यम उद्योगों को भी बढ़ावा देना है। सरकार चाहती है कि निवेश का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। इसके लिए भूमि आवंटन, बिजली, करों में छूट और बुनियादी सुविधाओं की दिशा में तेज काम किया जा रहा है।

भविष्य की संभावनाएं

विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि यह निवेश योजनानुसार धरातल पर उतरता है, तो छत्तीसगढ़ अगले पांच से दस वर्षों में औद्योगिक मानचित्र पर एक प्रमुख राज्य बनकर उभरेगा। ऊर्जा और खनिज आधारित उद्योगों के साथ-साथ आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में विकास से यह राज्य युवाओं की पहली पसंद भी बन सकता है।

सरकार का प्रयास है कि निवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे और उद्योगपतियों को किसी तरह की परेशानी न हो। इसके लिए सिंगल विंडो सिस्टम और ऑनलाइन आवेदन जैसी सुविधाएं पहले ही लागू की जा चुकी हैं।

कुल मिलाकर, छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति प्रदेश के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो रही है। यदि प्रस्तावित निवेश और रोजगार के अवसर समय पर साकार होते हैं तो राज्य न केवल आत्मनिर्भर बनेगा बल्कि देश की औद्योगिक शक्ति में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।

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